नई दिल्लीः भारत सरकार ने 2047 तक देश को 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के अपने लक्ष्य को लेकर नई दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को प्रमुख इंजन के रूप में देखा जा रहा है, जिसे विभिन्न सुधारों, क्षेत्रीय प्रोत्साहनों और मजबूत सप्लाई चेन से समर्थन मिलेगा। यह दिशा-निर्देश देश की विकास यात्रा को नई दिशा देने के लिए तैयार हैं। सरकार का मानना है कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के विकास से न केवल आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में सुधार की गति तेज हो गई है, जैसा कि फिच रेटिंग्स, आईएमएफ और एसएंडपी ग्लोबल आउटलुक द्वारा किए गए जीडीपी वृद्धि अनुमानों में वृद्धि से पता चलता है। इसके साथ ही मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई (Purchasing Managers Index) ने 16 महीने का उच्चतम स्तर दर्ज किया है, जो इस क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है। इस सेक्टर में कामकाजी स्थितियों में सुधार की शुरुआत, जैसे कि एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़ों में वृद्धि, देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत है।
सरकार की योजना है कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को पीएलआई (Production-Linked Incentive) योजना, नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन और स्किल डेवलपमेंट जैसे योजनाओं से बल मिले। इन योजनाओं के तहत देश के मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जुलाई 2025 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में सालाना 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो जून में 1.5 प्रतिशत थी। यह सूचकांक मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी जैसे क्षेत्रों में उत्पादन की मात्रा को दर्शाता है।
मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की यह गति एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़ों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। जून 2025 में पीएमआई 58.4 पर था, जो जुलाई में बढ़कर 59.1 और अगस्त में 59.3 तक पहुंच गया। यह आंकड़े 17 वर्षों में परिचालन स्थितियों में सबसे तेज सुधार का संकेत देते हैं, जो मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की मजबूती को दर्शाते हैं। निर्यात में भी वृद्धि हो रही है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का योगदान और मजबूत होता है। अप्रैल-अगस्त 2025 के दौरान भारत के कुल निर्यात में 6.18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। व्यापारिक निर्यात का संचयी मूल्य अप्रैल-अगस्त 2024 के 179.60 अरब डॉलर से बढ़कर 184.13 अरब डॉलर हो गया। यह दर्शाता है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अगर इस गति को बनाए रखा गया, तो भारत 2030 तक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में वैश्विक अर्थव्यवस्था में सालाना 500 बिलियन डॉलर से अधिक जोड़ने की क्षमता रखता है। इसके अलावा, यह भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले कुछ वर्षों में वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है।
भारत में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव के साथ बेरोजगारी दर में भी कमी आई है। अगस्त 2025 में पुरुषों में बेरोजगारी दर घटकर 5.0 प्रतिशत हो गई, जो पिछले पांच महीनों का सबसे निचला स्तर था। ग्लोबल सप्लाई चेन के रणनीतिक पुनर्गठन के साथ, भारत निवेश, इनोवेशन और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरने की ओर बढ़ रहा है। यदि यह गति बनी रहती है, तो भारत दुनिया के 'कारखाने' के रूप में अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ इनोवेशन और लीडरशिप का वैश्विक हब भी बन सकता है।
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