नई दिल्लीः भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। भारत ऊर्जा सेक्टर में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। इसी कड़ी में थर्मल पावर प्लांट में कोयले का भंडारण अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। भंडारण का कुल आंकड़ा 58.25 मिलियन टन से अधिक दर्ज किया गया है, जो कि आगामी 25 दिनों की खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। थर्मल पावर प्लांट में कोयले के स्टॉक में यह वृद्धि भारतीय रेलवे द्वारा साइलो लोडिंग के कारण दर्ज की गई। पिछले कुछ वर्षों में साइलो के माध्यम से लोड किए गए कोयले की हिस्सेदारी में शानदार वृद्धि हुई है।
रेल मंत्रालय के अनुसार, थर्मल पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक बढ़ने का आंकड़ा वर्ष 2022-23 में 18.8 प्रतिशत था, जो कि वर्ष 2025-26 में बढ़कर 29 प्रतिशत हो गई है। यह कोयला लॉजिस्टिक्स में सुधार की दिशा में एक स्पष्ट और निरंतर प्रयास को दर्शाता है। केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान कोयले का स्टॉक बढ़ाने को लेकर चर्चा की गई। इस बैठक में कोयला लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सिस्टम की दक्षता की समीक्षा की गई। मंत्रियों के बीच चर्चा का मुख्य केंद्र साइलो लोडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी लाना था, जो कोयला निकासी की गुणवत्ता और गति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
साइलो लोडिंग से तात्पर्य फ्रंट-एंड लोडर या मैनुअल शॉवलिंग जैसे पारंपरिक तरीकों का उपयोग करने से नहीं, बल्कि स्टोरेज साइलो से सीधे रेलवे वैगनों में थोक सामग्री (कोयला इत्यादि) लोड करने की मशीनीकृत प्रक्रिया से है। साइलो लोडिंग एक समान कोयला आकार सुनिश्चित करती है, बिजली संयंत्रों से बड़े आकार के बोल्डर से संबंधित शिकायतों को समाप्त करती है, वैगनों को होने वाले नुकसान को कम करती है और प्रतिकूल मौसम की स्थिति से अप्रभावित विश्वसनीय संचालन को सक्षम बनाती है। इन दोनों मंत्रियों ने प्रमुख कोयला क्षेत्रों में साइलो इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के उद्देश्य से चल रही और प्रस्तावित परियोजनाओं की समीक्षा की। बैठक में मंत्रियों ने माइन से लेकर प्लांट तक निर्बाध संचालन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच कॉर्डिनेशन बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। थर्मल पावर प्लांट में कोयले के स्टॉक को लेकर यह रिकॉर्ड भंडारण भारत की ऊर्जा सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाता है। यही नहीं, गर्मी के दौरान निर्बाध बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करता है और आने वाले मानसून अवधि के लिए पर्याप्त भंडारण का आश्वासन भी देता है।
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