CII Business Summit: विकसित भारत के लिए श्रम उत्पादकता को बढ़ाना जरूरीः सुमन बेरी

खबर सार :-
सीआईआई की वार्षिक बिजनेस समिट में सुमन बेरी ने कहा कि भारत में श्रम उत्पादकता में अपेक्षित गति से सुधार नहीं हो रहा है। क्रय शक्ति समता में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अमेरिका के आकार का आधा है, जबकि श्रम शक्ति का आकार अमेरिका के आकार का तीन गुना है। श्रम उत्पादकता बढ़ने से अप्रयुक्त क्षमता का लाभ उठाकर और श्रम गतिविधियों को बढ़ाकर उच्च मूल्य संवर्धन का लक्ष्य हासिल होगा।

CII Business Summit: विकसित भारत के लिए श्रम उत्पादकता को बढ़ाना जरूरीः सुमन बेरी
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अब भारत का लक्ष्य विकसित भारत के सपने को साकार करना है। इसको लेकर सरकार की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन किसी भी बड़े लक्ष्य को पूरा करने में सही रणनीति, मेहनत और समेकित प्रयास भी जरूरी होता है। नीति आयोग के वाइस चेयरमैन सुमन बेरी ने विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर गुरुवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि श्रम उत्पादकता में निरंतर वृद्धि विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए जरूरी है। 

सीआईआई की वार्षिक समिट में विकसित भारत पर चर्चा

भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई की वार्षिक बिजनेस समिट में सुमन बेरी ने कहा कि भारत में श्रम उत्पादकता में अपेक्षित गति से सुधार नहीं हो रहा है। क्रय शक्ति समता में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार अमेरिका के आकार का आधा है, जबकि श्रम शक्ति का आकार अमेरिका के आकार का तीन गुना है। श्रम उत्पादकता बढ़ने से अप्रयुक्त क्षमता का लाभ उठाकर और श्रम गतिविधियों को बढ़ाकर उच्च मूल्य संवर्धन का लक्ष्य हासिल होगा। इससे आय बढ़ाने, देश के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और बेजोड़ जनसांख्यिकी की क्षमता का फायदा उठाने में मदद मिलेगी। हमारा उद्देश्य अर्थव्यवस्था के विकास को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए श्रम शक्ति का लाभ उठाना और बेहतर रोजगार पैदा करना होना चाहिए। यह भी कहा कि उत्पादकता में उतार-चढ़ाव की समस्या बहुत से देशों में है। इसका सामना यूके और कनाडा जैसे देशों को भी करना पड़ रहा है, जबकि भारत में उत्पादकता बढ़ रही है, हालांकि, यह चीन और आसियान की तुलना में काफी कम है।

 आत्मनिर्भरता और वैश्विक जुड़ाव का मिश्रित रूप अपनाने की जरूरत

केंद्र सरकार के अनगिनत प्रयासों और नीतियों के कारण देश अनेकों मामलों में आत्मनिर्भर हो चुका है। हम अपने जरूरत का बहुत सारा सामान देश में ही बना रहे हैं। इस कारण विदेशों से आयात होने वाले सामानों का प्रतिशत लगातार घट रहा है। वहीं, दूसरी तरफ ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत देश में बने प्रोडक्ट्स की विदेशों में डिमांड लगातार बढ़ रही है, जिसकी वजह से हमारा वस्तुओं को निर्यात करने के आंकड़े में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। सुमन बेरी के अनुसार भारत को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए आत्मनिर्भरता और वैश्विक जुड़ाव का मिश्रण अपनाना चाहिए। हमें जर्मनी जैसे देशों की तरह भारत के लघु और मध्यम उद्योगों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसमें भारत सरकार की एमएसएमई मंत्रालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वह छोटे-बड़े हर तरह के क्वालिटी बेस उद्योगों को बढ़ावा देने में भरपूर मदद कर रहा है।

यह भी कहा कि  भारतीय उद्योगों ने 1991 के सुधारों को सफलतापूर्वक पार कर लिया है और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ उद्योगों के साथ प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा करने का आत्मविश्वास भी हासिल कर लिया है। अब हमें व्यापारिक साझेदारों के साथ एफटीए करना, उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों में प्रवेश करना और आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाने का काम करना है, यह हमें प्रतिस्पर्धा में आगे बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है। हमारी प्रतिस्पर्धा केवल विनिर्माण तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे सेवाओं तक भी बढ़ाया जाना चाहिए।

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