Government Rejected MDR: यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर को वित्त मंत्रालय ने नकारा, पेटीएम के शेयर गिरे

खबर सार :-
एमडीआर एक शुल्क है, जो बैंक या पेटीएम जैसे पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर डिजिटल भुगतान के प्रोसेस के लिए व्यापारियों से लेते हैं। मौजूदा समय में डिजिटल पेमेंट को प्रमोट करने के लिए सरकार ने एमडीआर को यूपीआई लेनदेन से हटा दिया है।

Government Rejected MDR: यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर को वित्त मंत्रालय ने नकारा, पेटीएम के शेयर गिरे
खबर विस्तार : -

मुंबईः फिनटेक कंपनी पेटीएम की प्रवर्तक कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस के लिए गुरुवार का दिन अच्छा नहीं रहा। आज कंपनी के शेयर शुरुआती कारोबार में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई पर 10 प्रतिशत गिरकर 864.20 रुपए तक आ गये थे। दोपहर बाद शेयर में रिकवरी देखने को मिली, लेकिन तब भी कारोबारी सत्र की समाप्ति तक 5.59 प्रतिशत की गिरावट के साथ 906.75 रुपए पर बंद हो गया। 

डिजिटल भुगतान पर व्यापारियों से शुल्क लेने का मामला

पेटीएम के शेयर में गिरावट की वजह सरकार की ओर से यूपीआई पेमेंट्स पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) को दोबारा से लागू करने के इनकार को माना जा रहा है। एमडीआर एक शुल्क है, जो बैंक या पेटीएम जैसे पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर डिजिटल भुगतान के प्रोसेस के लिए व्यापारियों से लेते हैं। मौजूदा समय में डिजिटल पेमेंट को प्रमोट करने के लिए सरकार ने एमडीआर को यूपीआई लेनदेन से हटा दिया है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार उच्च मूल्य वाले यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर लगाने पर विचार कर रही है, लेकिन इन रिपोर्ट्स ने निवेशकों में हलचल पैदा कर दी थी। जिसे गंभीरता से लेकर वित्त मंत्रालय ने कड़े शब्दों में बयान जारी कर इन दावों को 'निराधार और सनसनीखेज' बताया।

 वित्त मंत्रालय ने एमडीआर लगाने के दावों को किया खारिज

वित्त मंत्रालय ने एमडीआर मामले में बयान जारी कर कहा कि ऐसी अफवाहें लोगों में भय और भ्रम पैदा करती हैं और ये सच नहीं हैं। इससे पहले मार्च में डिजिटल भुगतान में शामिल कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। उद्योग निकाय ने सरकार से यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड लेनदेन पर एमडीआर वापस लाने का अनुरोध किया था। उद्योग निकाय ने यूपीआई का उपयोग करने वाले बड़े व्यापारियों पर 0.3 प्रतिशत एमडीआर और रुपे डेबिट कार्ड के सभी लेनदेन पर एक छोटा शुल्क लगाने का सुझाव दिया था। हालांकि, सरकार ने अभी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। वर्तमान में यूपीआई क्षेत्र में फोनपे और गूगलपे का दबदबा है। इन दोनों कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है।

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