नई दिल्लीः भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में कर्पोरेट जगत का अहम योगदान है। बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत में कॉर्पोरेट जगत का प्रदर्शन काफी संतोषजनक रहा है। इसी के साथ वित्त वर्ष 2026 में खपत बढ़ने के बाद कॉर्पोरेट जगत के प्रदर्शन में और अधिक वृद्धि की गुंजाइश बताई जा रही है।
बैंक ऑफ बड़ौदा यानी बीओबी की ओर से सोमवार को एक रिपोर्ट जारी की गई है, इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में 1,893 कंपनियों के सैंपल की कुल शुद्ध बिक्री वर्ष 2025 की चौथी या अंतिम तिमाही में 5.4 प्रतिशत थी, जबकि शुद्ध लाभ में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। अर्थशास्त्री अदिति गुप्ता ने बताया कि देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें सुधार की उम्मीद है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े क्षेत्रों में कई तरह के नकारात्मक आधार प्रभावों के बावजूद स्थिर वृद्धि बनी हुई है। एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल जैसे उपभोक्ता से जुड़े क्षेत्रों में भी मजबूत ग्रामीण और मौसमी मांग देखी गई है, जो स्थिर सुधार में सहायक बनी हुई है। सेवा क्षेत्र के उद्योगों ने भी निरंतर मांग की गति के बीच स्थिर वृद्धि दर्ज करना जारी रखा है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान में वैश्विक माहौल अत्यंत चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, इन सबके बावजूद, कंपनियां भविष्य की विकास संभावनाओं को लेकर काफी सकारात्मक हैं। उन्होंने कहा कि स्थिर कमोडिटी कीमतें, अनुकूल मानसून, व्यापार सौदे, सरकारी पूंजीगत व्यय, कम घरेलू महंगाई और कर प्रोत्साहन की वजह से वृद्धि और मांग को बढ़ावा मिल सकता है। अंतिम तिमाही में, व्यय और ब्याज लागत कम रही, जिससे कंपनियों की ऋण चुकाने की क्षमता में भी सुधार हुआ है। ऑयल एंड गैस, टेक्सटाइल और आयरन एंड स्टील जैसे कुछ बड़े क्षेत्रों में बिक्री में कुछ नरमी देखी गई, जिसका ओवरऑल सैंपल पर असर पड़ा।
बीओबी की रिपोर्ट के अनुसार यह एक बार की घटना प्रतीत होती है। इसी तरह, बीएफएसआई सेगमेंट में पिछले साल मजबूत प्रदर्शन हुआ था, उसके बाद भी कुछ धीमी गति देखी गई। इसे विश्लेषकों ने ऋण में वृद्धि की गति धीमी होने से जोड़ दिया। अशांत वैश्विक व्यापार वातावरण के संदर्भ में और साथ ही पिछले वर्ष के उच्च आधार पर विचार करते हुए, प्रदर्शन काफी स्थिर लगता है। आंकड़ों पर गौर करें, तो पिछले वर्ष 20.7 प्रतिशत और 14.3 प्रतिशत के उच्च आधार पर, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में परिचालन और शुद्ध लाभ में क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यही नहीं, कुल 24 सेक्टर ने कुल सैंपल (5.4 प्रतिशत) के लिए तुलनात्मक शुद्ध बिक्री की तुलना में शुद्ध बिक्री में उच्च वृद्धि दर दर्ज की है। पीएटी (प्रॉफिट आफ्टर टैक्स) के लिए, 16 सेक्टर ने सैंपल एवरेज (7.6 प्रतिशत) की तुलना में अधिक वृद्धि दर्ज की है।
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