अनिल अंबानी को ईडी का समन: मनी लॉन्ड्रिंग केस में 14 नवंबर को होगी पूछताछ

खबर सार :-
ईडी द्वारा अनिल अंबानी को भेजा गया यह समन समूह की वित्तीय अनियमितताओं की जांच को नई दिशा दे सकता है। अब 14 नवंबर की पूछताछ पर सबकी नजरें टिकी हैं। जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि बैंक लोन का गलत इस्तेमाल किन स्तरों पर हुआ और इसमें कौन-कौन शामिल था।

अनिल अंबानी को ईडी का समन: मनी लॉन्ड्रिंग केस में 14 नवंबर को होगी पूछताछ
खबर विस्तार : -

ED Summons Anil Ambani: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस एडीएजी ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए समन जारी किया है। ईडी ने उन्हें 14 नवंबर को तलब किया है। यह मामला रिलायंस समूह की कंपनियों से जुड़े बैंक धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है।

धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी की जमीन जब्त

ईडी ने हाल ही में नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) की करीब 132 एकड़ भूमि, जिसकी कीमत 4,462.81 करोड़ रुपये बताई गई है, को अस्थायी रूप से जब्त किया है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत की गई है। इससे पहले एजेंसी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से जुड़ी 3,083 करोड़ रुपये की 42 संपत्तियां जब्त की थीं।

अब तक 7,500 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त

ईडी के मुताबिक, अब तक कुल 7,545 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों को जब्त किया जा चुका है। एजेंसी ने बयान जारी कर कहा कि वह वित्तीय अपराधियों की सक्रियता से तलाश कर रही है और अपराध से अर्जित धन को वास्तविक दावेदारों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

सीबीआई की एफआईआर के बाद शुरू हुई ईडी जांच

इस पूरे मामले की जांच सीबीआई की एफआईआर के आधार पर शुरू की गई थी। एफआईआर में अनिल अंबानी, आरकॉम और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 13(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

बैंकों से लिए गए लोन पर सवाल

ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि 2010 से 2012 के बीच रिलायंस ग्रुप की कंपनियों ने घरेलू और विदेशी बैंकों से 40,185 करोड़ रुपये के लोन लिए थे। इनमें से कई लोन बकाया रह गए और पांच बैंकों ने इन खातों को फ्रॉड घोषित कर दिया। जांच में यह भी सामने आया कि एक कंपनी द्वारा लिए गए लोन का उपयोग समूह की दूसरी कंपनियों के लोन चुकाने, अन्य कंपनियों में ट्रांसफर और म्यूचुअल फंड निवेश में किया गया, जो लोन की शर्तों का उल्लंघन था।

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