Adani-Hindenburg controversy : सेबी हुआ मेहरबान, हिंडनबर्ग के आरोपों से अडानी समूह को मिली बड़ी राहत

खबर सार :-
Adani-Hindenburg controversy : SEBI ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को खारिज करते हुए अडानी समूह और गौतम अडानी को राहत दी। SEBI का कहना था कि आरोपों के समर्थन में कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। अडानी ने इसे वित्तीय और राजनीतिक हमले के रूप में बताया, जो उनके समूह की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था।

Adani-Hindenburg controversy : सेबी हुआ मेहरबान, हिंडनबर्ग के आरोपों से अडानी समूह को मिली बड़ी राहत
खबर विस्तार : -

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मेहरबानी दिखाते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च के लगाए आरोपों के संदर्भ में अडानी समूह और उसके चेयरमैन गौतम अडानी को बड़ी राहत दी है। सेबी अडानी समूह के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं जुटा सका। सेबीे ने दो अलग-अलग आदेशों में कहा कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले, जिनसे यह साबित हो सके कि अडानी समूह ने किसी संबंधित पक्ष के माध्यम से अपनी सूचीबद्ध इकाइयों में धन भेजा।

हिंडनबर्ग का हमला राजनीतिक रूप से प्रेरित : अडानी समूह

अडानी समूह ने जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग के आरोपों को बार-बार खारिज किया था। गौतम अडानी ने इस पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अडानी समूह ने जो नेतृत्व और सहनशीलता दिखाई है, वह इन आरोपों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग का हमला सिर्फ वित्तीय नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी प्रेरित था और इसे अडानी समूह के सार्वजनिक प्रस्ताव के ठीक पहले किया गया था, जिससे अधिक नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई थी।

अडानी समूह की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई साजिश

गौतम अडानी ने इस मुद्दे पर कहा कि यह हमला हमारी वित्तीय स्थिरता को निशाना बनाने और हमें राजनीतिक तूफान में धकेलने के लिए किया गया था। यह एक सोची-समझी चाल थी, जो अडानी समूह की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई थी।

हालांकि,  सेबी के आदेश के बाद अडानी समूह और उसके चेयरमैन को बड़ी राहत मिली है।  सेबी का यह निर्णय समूह की प्रतिष्ठा और वित्तीय स्थिरता को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

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