किसानों ने सीखा डीएसआर तकनीक, बहु-हितधारक मंच की जानकारी दी

खबर सार :-
30 से अधिक चैंपियन किसानों दो दिवसीय प्रशिक्षण देकर डीएसआर तकनीक सिखाई गई। एसडीएन अब इन प्रयासों को क्लस्टर विकास, तकनीकी पहुंच और फील्ड वैलिडेशन के साथ आगे बढ़ाएगा।

किसानों ने सीखा डीएसआर तकनीक, बहु-हितधारक मंच की जानकारी दी
खबर विस्तार : -

लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार ने औपचारिक रूप से ‘समृद्ध धान नेटवर्क (एसडीएन)’ का शुभारंभ किया। यह नेटवर्क राज्य में डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) तकनीक को बड़े स्तर पर बढ़ावा देने और टिकाऊ, जलवायु-स्मार्ट धान उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए गठित एक अग्रणी बहु-हितधारक मंच है। 30 से अधिक चैंपियन किसानों दो दिवसीय प्रशिक्षण देकर डीएसआर तकनीक सिखाई गई। एसडीएन अब इन प्रयासों को क्लस्टर विकास, तकनीकी पहुंच और फील्ड वैलिडेशन के साथ आगे बढ़ाएगा।

कृषि निदेशालय के सभागार में आयोजित पहले एसडीएन सम्मेलन के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों को टिकाऊ तकनीकों से जोड़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जो पानी बचाती हैं, लागत घटाती हैं और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने डीएसआर को एक ऐसी तकनीक बताया जो बिना पैदावार घटाए लाभ पहुंचा सकती है, जिससे फसल चक्र में भी सुधार होगा और किसान पहले कटाई कर सकेंगे। उन्होंने एसडीएन के सभी साझेदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि डीएसआर एक आधुनिक कृषि तकनीक है जो पारंपरिक रोपाई की जगह सीधे बीज बोने पर आधारित है। यह तकनीक 30 प्रतिशत तक पानी की बचत, 30 प्रतिशत तक मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी, और श्रम लागत में भारी कटौती का वादा करती है। बदलते मौसम, घटते भूजल स्तर और बढ़ती लागत के वर्तमान परिदृश्य में, डीएसआर उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्य के लिए एक व्यवहारिक और लाभकारी विकल्प के रूप में उभर रहा है।

जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और श्रमिकों की कमी दूर होगी

कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने डीएसआर तकनीक की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए इसे जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और श्रमिकों की कमी जैसी समस्याओं का समाधान बताया। उन्होंने कृषि विभाग से डीएसआर को हर किसान तक पहुंचाने के लिए जरूरी मशीनों पर सब्सिडी की प्राथमिकता तय करने का आग्रह किया। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रमुख सचिव कृषि, रविंद्र ने बताया कि एसडीएन एक ऐसा मंच बनेगा जो आंकड़ों की निगरानी, सहयोग और तालमेल को बढ़ावा देगा। उन्होंने डीएसआर की उपयुक्तता का नक्शा तैयार करने, कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से पारंपरिक किस्मों का परीक्षण करने, और पूर्वी यूपी के 75 डीएसआर क्लस्टर्स को मान्यता देने के निर्देश दिए। एसडीएन के सदस्य सचिव और कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि इस मंच का लक्ष्य आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीएसआर तकनीक को अपनाना है, ताकि इसकी पूरी क्षमता का लाभ उठाया जा सके।

एसडीएन के उद्देश्यों का प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए

इस पहली बैठक में कृषि विभाग के अंतर्गत एसडीएन सचिवालय की स्थापना, एसडीएन कोर समूह की घोषणा और जिम्मेदारियों का निर्धारण, 2025 खरीफ सीजन के लिए डीएसआर को बढ़ाने की रणनीति तैयार करना, राज्य की प्राथमिकताओं के साथ एसडीएन के उद्देश्यों का समन्वय जैसे प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए गए। इस बैठक में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और कोका-कोला फाउंडेशन जैसे विकास भागीदारों की विशेष उपस्थिति रही। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने एसडीएन और उत्तर प्रदेश एक्सीलरेटर कार्यक्रम के साथ मिलकर काम करने पर उत्साह व्यक्त किया और वैज्ञानिक शोध तथा प्रशिक्षण के माध्यम से टिकाऊ धान प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया। एसडीएन के लॉन्च से पहले, अप्रैल से मई 2025 के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिसमें सैकड़ों किसान, कृषक उत्पादक संगठन, कृषि विज्ञान केंद्र और जिला कृषि अधिकारी शामिल हुए।
 

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