फर्टिलाइजर की कालाबाजारी पर सरकार की बड़ी कार्रवाई, 4 हजार से अधिक लाइसेंस रद्द

खबर सार :-
सरकार की यह व्यापक कार्रवाई किसानों के हित में एक बड़ा कदम साबित हुई है। कठोर निगरानी और त्वरित कानूनी दखल से बाजार अनुशासन मजबूत हुआ है और फर्टिलाइजर की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। मंत्रालय का कहना है कि भविष्य में भी इस तरह के अभियान जारी रहेंगे ताकि उर्वरक वितरण प्रणाली पारदर्शी और जवाबदेह बनी रहे।

फर्टिलाइजर की कालाबाजारी पर सरकार की बड़ी कार्रवाई, 4 हजार से अधिक लाइसेंस रद्द
खबर विस्तार : -

Black marketing of fertilizers: देश में किसानों को उर्वरक की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने खरीफ और रबी सीजन 2025-26 के दौरान व्यापक अभियान चलाकर कालाबाजारी, जमाखोरी और डायवर्जन में लिप्त डीलरों पर सख्त कार्रवाई की है। इस अभियान के तहत सरकार ने देशभर में 3,17,054 निरीक्षण और छापेमारी कर फर्टिलाइजर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की गहन मॉनिटरिंग की।

देशभर में छापेमारी और लाइसेंस रद्द

केमिकल्स और फर्टिलाइजर मंत्रालय के अनुसार, ऑपरेशन के दौरान 5,119 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 3,645 लाइसेंस निलंबित किए गए और 418 एफआईआर दर्ज की गईं। जमाखोरी के खिलाफ चलाए गए विशेष अभियान में भी 667 कारण बताओ नोटिस, 202 लाइसेंस रद्द/निलंबित और 37 एफआईआर दर्ज की गईं। डायवर्जन रोकने के लिए अधिकारियों ने 2,991 नोटिस जारी किए, 451 लाइसेंस रद्द या निलंबित किए और 92 एफआईआर दर्ज कीं। मंत्रालय ने कहा कि यह सभी प्रवर्तन कार्रवाइयाँ आवश्यक वस्तु अधिनियम और उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ) के तहत की गईं ताकि बाजार में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

उत्तर प्रदेश बना सबसे अग्रणी राज्य

इस सख्त अभियान में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा। यहां 28,273 निरीक्षण किए गए, जिनमें कालाबाजारी के मामलों में 1,957 कारण बताओ नोटिस जारी हुए और 2,730 लाइसेंस रद्द/निलंबित किए गए। साथ ही, 157 एफआईआर दर्ज की गईं। इसके अलावा, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और गुजरात ने भी फर्टिलाइजर कालाबाजारी पर कठोर रुख अपनाया।

राज्यों में सख्त कार्रवाई के उदाहरण

महाराष्ट्र में 42,566 निरीक्षण कर 1,000 से अधिक लाइसेंस डायवर्जन उल्लंघन के कारण रद्द किए गए। राजस्थान में 11,253 निरीक्षण और व्यापक कानूनी कार्रवाई हुई, जबकि बिहार में लगभग 14,000 निरीक्षण कर 500 से अधिक लाइसेंस निलंबित किए गए। इन पहलों से खरीफ और रबी सीजन के दौरान उर्वरक की कृत्रिम कमी और कीमतों में हेराफेरी को रोकने में बड़ी मदद मिली।

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