तियानजिन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने भारत-रूस के मजबूत द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की और भविष्य में सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग विश्व में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत और रूस के बीच संबंध सदियों पुरानी दोस्ती और साझेदारी पर आधारित हैं। दोनों देशों ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में एक-दूसरे का साथ दिया है, और इस दौरान दोनों पक्षों के बीच कई उच्च-स्तरीय संवाद हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-रूस संबंधों का महत्व सिर्फ द्विपक्षीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बहुत ज्यादा है। मोदी ने उम्मीद जताई कि आने वाले शिखर सम्मेलन में यह संबंध और मजबूत होंगे और दोनों देशों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस द्विपक्षीय बैठक के दौरान रूस और यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा शांति की ओर अग्रसर रहा है और युद्ध के सभी पक्षों से रचनात्मक समाधान की उम्मीद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि पूरी मानवता की ओर से संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने की आवश्यकता है। यह बयान विश्व शांति की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करता है। इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बातों में यह भी कहा कि हमारे बीच का सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि समग्र विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने यूक्रेन युद्ध के बीच शांति की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि भारत इस संघर्ष के समाधान के लिए वैश्विक प्रयासों का स्वागत करता है।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के समापन के बाद एक ही कार में द्विपक्षीय बैठक स्थल तक पहुंचे। यह घटना चीन के सोशल मीडिया पर छाई रही। “मोदी टेक्स पुतिन कार” इस समय वीबो पर सबसे ज्यादा ट्रेंड करने वाला विषय था। इसके अलावा, बायडू पर भी “मोदी और पुतिन गले मिले और हाथ में हाथ डालकर बातें की” सबसे ज़्यादा सर्च किया गया विषय था। चीन के सोशल मीडिया और सर्च इंजन पर इस घटना को लेकर काफी चर्चा हुई और लोग इसे भारत और रूस के बीच की “विशेष मित्रता” के रूप में देख रहे थे। इस दौरान पुतिन ने मोदी का करीब 10 मिनट इंतजार किया ताकि दोनों नेता एक साथ अपने द्विपक्षीय बैठक स्थल तक जा सकें। यह इशारा करता है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच रिश्ते बेहद सौहार्दपूर्ण और मित्रवत हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन की यात्रा के दौरान, उन्होंने विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रमुखता से रखा। उन्होंने एससीओ में शामिल अन्य देशों के नेताओं से मुलाकात की और भारत के दृष्टिकोण को साझा किया। इस सम्मेलन के बाद मोदी ने सोशल मीडिया पर अपनी यात्रा के बारे में लिखा कि चीन की यात्रा सफल रही। यहां एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ और कई नेताओं से मुलाकात की।
पीएम मोदी ने एससीओ के सम्मेलन में तीन महत्वपूर्ण स्तंभों पर भारत की नीति को रेखांकित किया – सुरक्षा, संपर्क और अवसर। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक कदम उठाने, वैश्विक शासन में सुधार पर सहयोग बढ़ाने और स्टार्ट-अप, युवाओं व सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए अवसर देने की बात की। इसके अलावा, उन्होंने एससीओ में सामूहिक प्रयासों के तहत विश्व शांति की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। बैठक के अंत में तियानजिन घोषणा को अपनाया गया, जिसमें भविष्य में एससीओ के प्रभावी कार्यों को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की गई। इसके साथ ही, एससीओ की अगली अध्यक्षता किर्गिस्तान को सौंपने की घोषणा की गई। इस आयोजन ने वैश्विक राजनीति में भारत की सक्रिय भूमिका को भी पुनः उजागर किया।
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