आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से लड़ना सभी मानवतावादी देशों का कर्तव्य : पीएम मोदी

खबर सार :-
प्रधानमंत्री मोदी और सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के बीच इस वार्ता ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता, तकनीकी सहयोग, और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम उठाए हैं। दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाई पर पहुँचाने के लिए कई प्रमुख निर्णय लिए हैं, जो भविष्य में दोनों देशों के विकास के लिए फायदेमंद साबित होंगे।

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से लड़ना सभी मानवतावादी देशों का कर्तव्य : पीएम मोदी
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए एक खतरा है। इस पर नियंत्रण पाना सभी मानवतावादी देशों का कर्तव्य है।

आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई मजबूत

पीएम मोदी ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री वोंग को भारत के प्रति संवेदना व्यक्त करने और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में समर्थन देने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ समान चिंताओं को साझा करते हैं और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई मजबूत हो। आतंकवाद केवल एक देश या क्षेत्र की समस्या नहीं है, बल्कि यह समग्र मानवता के लिए एक खतरा है। यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ें। भारत और सिंगापुर, दोनों देशों के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण पहल है, क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से ही हम इसे समाप्त करने में सक्षम हो सकते हैं। सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने इस दौरान भारत के प्रति सिंगापुर के समर्थन की पुष्टि की और कहा कि उनके देश भारत के आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में हर कदम पर साथ खड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद का मुकाबला केवल सैन्य ताकत से नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और राजनीतिक एकता से किया जा सकता है।

भारत-सिंगापुर द्विपक्षीय संबंधों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर प्रधानमंत्री वोंग की भारत यात्रा को विशेष बताया, क्योंकि यह यात्रा दोनों देशों के बीच 60 वर्षों के कूटनीतिक संबंधों के जश्न का हिस्सा है। इस दौरान दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए कई अहम फैसलों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने बताया कि दोनों देशों के रिश्तों में पिछले एक वर्ष में उल्लेखनीय गति आई है। हमने अपनी साझेदारी को 'कंप्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप' का दर्जा दिया और इसके तहत कई नए क्षेत्रों में सहयोग की दिशा तय की। वर्तमान में सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है। यह भी कहा कि भारत और सिंगापुर ने अपने आर्थिक सहयोग को और बढ़ाने के लिए एक डिटेल्ड रोडमैप तैयार किया। इसमें पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा, एडवांस मैन्युफैक्चरिंग, ग्रीन शिपिंग, सिविल न्यूक्लियर, स्किलिंग, और अर्बन वाटर मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने की बात की गई है।

सेमीकंडक्टर, स्पेस और डिजिटल टेक्नोलॉजी में सहयोग

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बताया कि सिंगापुर और भारत के बीच सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम पार्टनरशिप और स्पेस सेक्टर में सहयोग बढ़ाया जाएगा। दोनों देशों के बीच 'सेमीकॉन इंडिया' कांफ्रेंस में सिंगापुर की कंपनियों का सक्रिय भागीदारी करना इस बात का संकेत है कि तकनीकी क्षेत्रों में दोनों देशों का सहयोग बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि भारत में सिंगापुर के सहयोग से एक नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग स्थापित किया जाएगा। इस सेंटर का उद्देश्य भारत में कुशल श्रमिकों की आपूर्ति सुनिश्चित करना होगा। इसके अलावा, दोनों देशों ने एआई, क्वांटम और अन्य डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि इन क्षेत्रों में आपसी सहयोग को मजबूत किया जाएगा और हम दोनों देशों के युवाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देंगे।

ग्रीन और डिजिटल कॉरिडोर की दिशा में समझौते

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत और सिंगापुर ने ग्रीन एंड डिजिटल कॉरिडोर्स के लिए समझौते किए हैं, जिससे मैरिटाइम सेक्टर में ग्रीन फ्यूल सप्लाई चेन और डिजिटल पोर्ट क्लियरेंस को बल मिलेगा। भारत अपने पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी से काम कर रहा है, और इसमें सिंगापुर का अनुभव बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सिंगापुर भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक अहम हिस्सा है और हम मिलकर आसियान देशों के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में काम करेंगे।

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