नई दिल्ली: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों के खिलाफ शुरू हुआ युवाओं का आंदोलन अब देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का कारण बन गया है। यह आंदोलन काठमांडू और अन्य प्रमुख शहरों में जबरदस्त रूप से फैल गया, जिससे सरकार के लिए परेशानी खड़ी हो गई। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और नेताओं के घरों तक में आगजनी की। ये विरोध प्रदर्शन ऐसे समय में हुए हैं जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार पहले से ही संकटों का सामना कर रही थी।
आंदोलन की शुरुआत सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों के खिलाफ हुई थी, लेकिन यह जल्द ही एक विशाल जन आंदोलन में बदल गया। युवाओं की इस बढ़ती हुई ताकत ने ओली सरकार को झकझोर दिया, और प्रधानमंत्री समेत कई मंत्रियों को नेपाल छोड़ने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद से नेपाल की सेना ने शांति बहाल करने के लिए सड़कों पर गश्त शुरू कर दी है। हालांकि, इस आंदोलन में चार प्रमुख चेहरों की भूमिका ने पूरी स्थिति को नया मोड़ दिया है।
सुदन गुरुंग: सबसे पहले सुदन गुरुंग का नाम आता है। इवेंट मैनेजमेंट और नाइट लाइफ इंडस्ट्री में सक्रिय रहने वाले सुदन ने 2015 के भूकंप के बाद 'हमि नेपाल' एनजीओ की स्थापना की। वे कोविड महामारी में भी राहत कार्यों में सक्रिय रहे थे। 2020 में शुरू हुआ ‘इनफ इज इनफ’ आंदोलन युवाओं के बीच एक शक्तिशाली आंदोलन के रूप में सामने आया। उन्होंने छात्रों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने की अपील की और जब सरकार ने पुलिस बल का इस्तेमाल किया, तो सुदन ने तत्काल प्रधानमंत्री ओली से इस्तीफे की मांग की।
बालेंद्र शाह: काठमांडू के मेयर, बालेंद्र शाह ने अपनी सिविल इंजीनियरिंग और रैप आर्टिस्ट की पृष्ठभूमि से एक नए नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। 2022 में वे स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मेयर चुने गए और युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हो गए। टाइम मैगजीन ने उन्हें 2023 में टॉप 100 उभरते नेताओं में स्थान दिया। शाह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं और उन्होंने इस आंदोलन का खुला समर्थन किया, साथ ही राजनीतिक दलों से अपील की कि वे इसका राजनीतिक लाभ न उठाएं।
रबि लमिछाने: रबि लमिछाने ने पत्रकारिता और टीवी एंकरिंग के बाद 2022 में अपनी राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी बनाई और चुनावों में 20 सीटें जीतीं। वे गृह मंत्री भी बने, लेकिन सहकारी फंड घोटाले में फंसने के बाद जेल गए। बावजूद इसके, उनकी पार्टी ने युवाओं के आंदोलन का समर्थन किया और साथ ही सांसदों ने इस्तीफा देकर सरकार पर दबाव बनाया।
सुशीला कार्की: नेपाल की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश, सुशीला कार्की भी इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके द्वारा सरकार की गोलीबारी को ‘हत्या’ करार दिए जाने के बाद, युवाओं ने उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया, जिसमें 2500 से अधिक समर्थन जुटाए गए।
इस आंदोलन ने नेपाल की राजनीति को एक नई दिशा दी है। चार प्रमुख चेहरों की सक्रियता ने इसे और भी सशक्त बनाया, और यह आंदोलन न केवल ओली सरकार के लिए संकट का कारण बना, बल्कि नेपाल में सामाजिक और राजनीतिक बदलाव की लहर का प्रतीक भी बन गया।
अन्य प्रमुख खबरें
9/11 का वो काला दिन जब आतंकी हमले से दहल उठा था अमेरिका, 3,000 लोगों की गई थी जान
नेपाल हिंसा: जेल से भागे 30 कैदी भारतीय सीमा से गिरफ्तार
Charlie Kirk Murder : कौन थे ट्रंप के करीबी चार्ली किर्क ? जिनकी अमेरिका में गोली मारकर हुई हत्या
Sushila Karki के हाथों में होगी नेपाल की कमान ! बनी Gen-Z की पहली पसंद, बालेन शाह को छोड़ा पीछे
नेपाल में कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए हरसंभव प्रयास जारी: सेना
Nepal Gen-Z Protest : नेपाल में मचे कोहराम के बीच 'पशुपतिनाथ मंदिर' बंद, सेना ने संभाला मोर्चा
Nepal Takhtapalat: नेपाल में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का इस्तीफा, सेना के हाथ में कमान
Nepal Gen-Z Protest: नेपाल में राजनीतिक संकट, प्रधानमंत्री केपी ओली का इस्तीफा और Gen-Z आंदोलन
Nepal Protest: नेपाल में सोशल मीडिया लगा बैन समाप्त, पुलिस का कड़ा पहरा, सड़कों पर सन्नाटा
Nepal Protest: नेपाल में हिंसक हुआ Gen Z का विरोध प्रदर्शन, अब तक 20 लोगों की मौत, सैंकड़ों लोग घायल
US vs Russia: रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका, ट्रंप ने दिए संकेत
India US Relationship: ट्रंप ने बताया 'ग्रेटर प्राइम मिनिस्टर', टिप्पणी पर आया पीएम मोदी का जवाब