रामपुर: रामलीला मैदान आस्था, संस्कृति और कला का अद्भुत संगम बन गया। विभीषण के राज्याभिषेक से लेकर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के अयोध्या आगमन और भगवान राम के राज्याभिषेक तक, मंचीय दृश्यों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। "जय श्री राम" और "माता सीता की जय" के गूंजते जयकारों ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया।
लंका विजय के बाद भगवान राम द्वारा विभीषण को राजगद्दी सौंपने का दृश्य इतना जीवंत रूप से प्रस्तुत किया गया कि पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय ने सभी को धर्म की विजय का उत्सव मनाने पर मजबूर कर दिया।
इसके बाद पुष्पक विमान में सवार होकर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के अयोध्या आगमन का चित्रण किया गया। सुसज्जित पुष्पक विमान की भव्यता ने दर्शकों का मन मोह लिया। पुष्प वर्षा और मंगल गीतों के बीच राम दरबार से स्वागत का दृश्य इतना वास्तविक लगा कि दर्शक हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
रामलीला मंचन का सबसे भावुक क्षण तब आया जब श्री राम का राज्याभिषेक संपन्न हुआ। शंखनाद और वैदिक मंत्रों के गूँजते उच्चारण के बीच, श्री राम अपने सिंहासन पर विराजमान हुए और उनके चारों ओर राम दरबार स्थापित किया गया। भगवान श्री राम, माता सीता, भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ इस दिव्य दृश्य को देखकर भक्तों की आँखें भर आईं। ऐसा लग रहा था मानो पूरी अयोध्या रामपुर के रामलीला मैदान में उतर आई हो।
भगवान श्री राम का अभिनय करने वाले कलाकार ने मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्शों और मर्यादा को जीवंत कर दिया। माता सीता का चित्रण इतना भावपूर्ण था कि दर्शक उन्हें जगत जननी का स्वरूप मानकर सच्चे मन से उनके प्रति श्रद्धावान हो गए। विभीषण और भरत का अभिनय करने वाले कलाकारों ने भी अपनी ईमानदारी और समर्पण से दर्शकों का मन मोह लिया।
श्री राम का राज्याभिषेक केवल एक राज्याभिषेक का मंचन नहीं है, बल्कि धर्म, न्याय और आदर्श शासन की स्थापना का प्रतीक है। "रामराज्य" का अर्थ है एक ऐसा स्थान जहाँ लोग भय और पीड़ा से मुक्त हों, जहाँ हर व्यक्ति समान और सुखी हो, और जहाँ शासन नैतिकता, करुणा और सत्य पर आधारित हो।
इतिहास साक्षी है कि रामराज्य में कोई भी भूखा या दुखी नहीं था। हर घर समृद्धि, शांति और आनंद से भरा था। यही कारण है कि आज भी रामराज्य को आदर्श शासन का एक उदाहरण माना जाता है।
रामलीला में उपस्थित श्रद्धालु इस अद्भुत मंचन को देखकर भावविभोर हो गए। रामलीला मंचन के मीडिया प्रभारी गौरव जैन ने कहा कि ऐसा लगा जैसे सचमुच त्रेता युग लौट आया हो। जब श्री राम का राज्याभिषेक हुआ, तो उनकी आँखों से आँसू छलक पड़े। "अगर हर शासक श्री राम के आदर्शों को अपना ले, तो पूरा देश रामराज्य बन जाएगा।" सच में, इस बार रामपुर की रामलीला सिर्फ़ एक मंचन नहीं, बल्कि आस्था, कला और संस्कृति का एक जीवंत अनुभव थी जिसे लोग जीवन भर याद रखेंगे।
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