Vande Mataram Debate in Lok Sabha : लोकसभा में ’वंदे मातरम्’ (Vande Mataram) पर हुई विस्तृत चर्चा ने सोमवार को राजनीतिक तापमान जबरदस्त तरीके से बढ़ा दिया। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (west bengal assembly elections) के मद्देनज़र इस मुद्दे को जानबूझकर उछाला जा रहा है ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके।
लोकसभा (Lok Sabha) में चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने अपनी बारी में कहा कि आज सदन में वंदे मातरम् (Vande Mataram) पर बहस के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला कारण है, बंगाल में चुनाव नजदीक हैं और ऐसे समय में हमारे प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर अपनी भूमिका को मजबूत दिखाना चाहते हैं। दूसरा कारण उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेनेक वाले और देश के लिए बलिदान देने वाले लोगों पर यह सरकार नए आरोप लगाने का अवसर खोज रही है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार असली समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। प्रियंका गांधी ने भाजपा को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि आप चुनावों के लिए लड़ते हैं और हम देश के लिए। हम कितने भी चुनाव हार जाएँ, यहाँ बैठकर आपके विचारों से लड़ते रहेंगे। देश के लिए लड़ते रहेंगे, आप हमें रोक नहीं पाएँगे।
दिन में पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने चर्चा के दौरान कांग्रेस (Congress) पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने आज़ादी के आंदोलन से लेकर स्वतंत्रता के बाद तक, कई मौकों पर राष्ट्रीय गीत ’वंदे मातरम्’ के साथ समझौते किए और मुस्लिम लीग (Muslim League) के दबाव में इसके भाव को खंडित किया। पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्वतंत्रता संग्राम में ’वंदे मातरम्’ की ऐतिहासिक भूमिका को याद किया। उन्होंने कहा कि 1905 में जब बंगाल का विभाजन किया गया, तब वंदे मातरम् प्रतिरोध की चट्टान बनकर खड़ा हुआ। इसी भावना ने देश में स्वदेशी आंदोलन को जन्म दिया। उस दौर में माचिस से लेकर बड़े जहाजों तक ‘वंदे मातरम्’ लिखना परंपरा बन गई थी। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय गीत को महज़ राजनीतिक नारे से कहीं अधिक बताते हुए कहा कि यह भारत के आत्मसम्मान और मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
लोकसभा में ’वंदे मातरम्’ पर हुई चर्चा ने न केवल इतिहास और राष्ट्रीय भावनाओं को केंद्र में ला दिया, बल्कि आगामी राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करने का संकेत दे दिया है। एक ओर सरकार इसे स्वतंत्रता संघर्ष की प्रेरणा बताती है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाने का आरोप लगा रहा है।
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