चालकों को मुनाफा, यात्रियों को सस्ते किराए की सुविधा देगी सहकार टैक्सी सेवा

खबर सार :-
बड़े शहरों में ओला, उबर, रैपिडो, इन ड्राइव जैसी कम्पनियां ऐप बेस्ड कैब सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं। इन कम्पनियों से जुड़े टैक्सी चालकों को कम जबकि कम्पनियों को अधिक मुनाफा मिल रहा है। कैब मालिक इसके खिलाफ आवाज भी उठाते रहे हैं। अब सहकार टैक्सी सेवा कैब मालिकों की इस समस्या का बड़ा समाधान साबित होने वाली है।

चालकों को मुनाफा, यात्रियों को सस्ते किराए की सुविधा देगी सहकार टैक्सी सेवा
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली/लखनऊ : अब टैक्सी चालक सहकार के आधार पर एप आधारित टैक्सी सेवा का संचालन कर सकेंगे। इस व्यवस्था में टैक्सी चालकों को ओला-उबर की तरह अन्य किसी कम्पनी को हिस्सा नहीं देना पड़ेगा। सहकार एप आधारित टैक्सी सेवा का उपयोग करने वाले यात्रियों को अधिक किराया नहीं देना पड़ेगा। टैक्सी परिचालन के क्षेत्र में इसे बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। इसमें निजी कम्पनी की जगह फायदा सीधे चालकों को मिलेगा। केंद्र सरकार ने टैक्सी सेवा प्रोजेक्ट का मल्टीस्टेट कोआपरेटिव एक्ट के तहत पंजीकरण कराया है।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस सेवा की शुरूआत वर्ष 2025 के अंत तक दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू व पुणे में होगी। आगामी वर्ष में देश के सभी बड़े राज्यों की राजधानियों समेत कुछ प्रमुख शहरों में इस सेवा को शुरू करने का लक्ष्य तय किया गया है। योजना के दूसरे व तीसरे चरण में इसे अन्य शहरों में भी शुरू किया जाएगा। इसके बाद इस सेवा के दायरे में ऑटो रिक्शा व ई-रिक्शा को भी लाया जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग सहकारिता मंत्रालय द्वारा की जाएगी।

यात्रियों की सुविधा के लिए सरकारी मानकों के अनुसार प्रति किमी किराया तय किया जाएगा। यात्री नगद के साथ यूपीआइ, डेबिट कार्ड के माध्यम से भी किराए का भुगतान कर सकेंगे। समिति के पास चालकों का पूरा ब्यौरा होगा। सर्विस के आधार पर चालकों को रेटिंग प्रदान की जाएगी। टैक्सी में महिला सुरक्षा से जुड़े फीचर भी होंगे। सहकारी मॉडल पर आधारित टैक्सी सेवा पूरी तरह से पारदर्शी होगी। इसमें टैक्सी चालक की भागीदारी व हिस्सेदारी कम्पनी मालिक की तरह होगी। 

अभी 30 प्रतिशत मुनाफा निजी कम्पनी को 

अभी जो टैक्सी चालक ओला-उबर से जुड़कर टैक्सी संचालन कर रहे हैं, उसमें कुल मुनाफे का 25 से 30 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं को मिलता है। हालांकि, सहकारी व्यवस्था में टैक्सी चालक खुद मालिक होंगे। कुल मुनाफे पर तीन से चार प्रतिशत ही शुल्क देना पड़ेगा। यह शुल्क भी समिति के खाते में जाएगा। आगे चलकर इस शुल्क से टैक्सी चालकों को बीमा, सामाजिक सुरक्षा, पेंशन जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। वहीं, टैक्सी चालक के खिलाफ किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर इसकी सुनवाई स्थानीय स्तर पर होगी। 

चालकों की बनेगी सहकारी समिति 

प्रोजेक्ट के तहत प्रत्येक शहर में टैक्सी चालकों की सुविधा के लिए सहकारी समिति गठित की जाएगी। समिति के सदस्य चालकों को ही इसमें शामिल किया जाएगा। शुरूआत में करीब पांच सौ चालकों को चुना जाएगा। समिति सदस्य चालकों द्वारा एक यूनिफाइड मोबाइल एप का संचालन किया जाएगा। इस एप के जरिए ही टैक्सी की बुकिंग की जा सकेगी। एप का मालिकाना हक चालकों के पास होगा। समिति द्वारा किराया भी तय किया जाएगा। 

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