सोनम वांगचुक की हिरासत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र को नोटिस जारी

खबर सार :-
सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत को चुनौती देने वाली उनकी पत्नी की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है। याचिका में NSA के तहत की गई हिरासत को असंवैधानिक बताया गया। अदालत ने मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर को तय की है।

सोनम वांगचुक की हिरासत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र को नोटिस जारी
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख के विख्यात पर्यावरणविद् और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की हिरासत को लेकर दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। यह याचिका उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल की है, जिसमें वांगचुक की नजरबंदी को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत असंवैधानिक और अवैध बताया गया है। मुख्य न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और अगली सुनवाई के लिए 14 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि वांगचुक की गिरफ्तारी के स्पष्ट आधार अब तक उन्हें नहीं बताए गए हैं। सिब्बल का कहना था कि जब तक हिरासत के कारण नहीं पता होंगे तब तक उस आदेश को चुनौती देना संभव नहीं है। 

अदालत ने पूछा कि आधार साझा करने में क्या बाधा है?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हिरासत के सभी कारण बंदी को बता दिए गए हैं और कानून के मुताबिक पत्नी को यह जानकारी देना आवश्यक नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता भावनात्मक मुद्दा खड़ा कर रही हैं। सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि वह फिलहाल इस विषय में आदेश पारित नहीं करेगी कि पत्नी को हिरासत के आधार बताए जाएं। हालांकि, अदालत ने यह जरूर पूछा कि आधार साझा करने में क्या बाधा है?

पत्नी से मुलाकात की अनुमति की भी मांग

कपिल सिब्बल ने अंतरिम राहत के रूप में वांगचुक के लिए मेडिकल सहायता और पत्नी से मुलाकात की अनुमति की भी मांग की। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यदि कोई चिकित्सा आवश्यकता हुई तो सरकार उसे पूरा करेगी। मुलाकात की मांग पर अदालत ने कहा कि पहले प्रशासन से अनुमति मांगी जाए, और यदि अस्वीकृत की जाए तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाए।

सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी सवाल उठाया कि याचिकाकर्ता ने पहले उच्च न्यायालय का रुख क्यों नहीं किया। इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि चूंकि हिरासत का आदेश केंद्र सरकार ने जारी किया है, इसलिए सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।
याचिका में यह भी कहा गया कि न तो सोनम वांगचुक और न ही उनकी पत्नी को उनकी गिरफ्तारी का कोई औपचारिक आधार बताया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 22 का उल्लंघन है। वर्तमान में वांगचुक को जोधपुर की जेल में रखा गया है। गौरतलब है कि हाल ही में लद्दाख में हुई हिंसक झड़पों के बाद सोनम वांगचुक को NSA के तहत हिरासत में लिया गया था। वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता दिलाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।
 

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