Chief Justice BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया गया। वहीं मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी अधिवक्ता को तुरंत हिरासत में ले लिया। मुख्य न्यायाधीश पर हमला करने वाले वकील की पहचान 71 वर्षीय राकेश किशोर (Rakesh Kishore) के रूप में हुई है। घटना के बाद राकेश को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया। हालांकि, CJI गवई ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने से साफ इनकार कर दिया, जिसके बाद उसे रिहा कर दिया गया। यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है।
इस घटना को लेकर वकील संगठनों ने कड़ी निंदा की। साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सोमवार को सीजेआई बीआर गवई पर कथित तौर पर जूता फेंकने की कोशिश करने के आरोपी वकील राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही वहीं सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन और अखिल भारतीय वकील संघ ने इस घटना की आलोचना करते हुए इसे सर्वोच्च न्यायालय और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। संघ की दिल्ली इकाई भी 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के सामने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन करेगी।
सोमवार सुबह करीब 11:35 बजे अदालत कक्ष संख्या-एक में राकेश किशोर नाम के एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice BR Gavai) पर जूता फेंका, लेकिन जूता CJI तक नहीं पहुंचा। कोर्ट में मौजूद दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने उसे तुरंत पकड़ लिया। जब पुलिस उसे अदालत कक्ष से बाहर ले जा रही थी, तो उसने जोर से चिल्लाते हुए कहा, "भारत सनातन धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।" दरअसल यह घटना मुख्य न्यायाधीश गवई द्वारा भगवान विष्णु की मूर्ति पर की गई टिप्पणी के बाद सामने आई। 71 वर्षीय राकेश किशोर मुख्य न्यायाधीश गवई की भगवान विष्णु पर की गई टिप्पणी से आहत थे।
बता दें कि जवारी मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, खजुराहो मंदिर परिसर का हिस्सा है। मुख्य न्यायाधीश गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने याचिकाकर्ता से यह भी कहा, "भगवान से कहो कि वही कुछ करें।" जिसको लेकर वह नाराज थे। इसी वजह से उन्होंने यह कदम उठाया। राकेश के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश गवई की टिप्पणी सुनने के बाद उनकी नींद उड़ गई थी। हर रात भगवान उनसे पूछते थे, "इतने अपमान के बाद मैं कैसे आराम कर सकता हूं?"
बता दें कि 71 वर्षीय राकेश किशोर ने 2009 में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) में नामांकन कराया था। वह मयूर विहार फेज 1 में रहते हैं। उनका जन्म 10 सितंबर, 1954 को हुआ था। सोमवार की घटना के तुरंत बाद, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने किशोर को निलंबित कर दिया। बीसीआई ने उन्हें भारत में किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित होने, पैरवी करने या वकालत करने से भी रोक दिया। साथ ही राकेश को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह बताने को कहा गया कि उनके खिलाफ कार्यवाही क्यों न जारी रखी जाए। बीसीआई ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जाएगी।
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