Shibu Soren Death:  नहीं रहे झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन , 81 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

खबर सार :-
Shibu Soren Death: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिबू सोरेन नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर अपने पिता के निधन की जानकारी दी।

Shibu Soren Death:  नहीं रहे झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन , 81 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
खबर विस्तार : -

Shibu Soren Death: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। शिबू सोरेन का सुबह 8:56 बजे 81 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। वह पिछले कई दिनों से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे। उनकी तबीयत काफी समय से खराब चल रही थी और किडनी की गंभीर समस्या के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सर गंगा राम अस्पताल ने बताया कि लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वे गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे और डेढ़ महीने पहले उन्हें स्ट्रोक भी आया था। पिछले एक महीने से वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।

Shibu Soren Death: सीएम हेमंत सोरेन ने किया भावुक पोस्ट

'दिशोम गुरु' के नाम से मशहूर शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति के एक मजबूत स्तंभ रहे हैं। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के बैनर तले आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए कड़ा संघर्ष किया। उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई।  झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर अपने भावुक संदेश में लिखा, "आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सबको छोड़कर चले गए। आज मैं शून्य हो गया हूँ..."

Shibu Soren Death: तीन बार बने झारखंड के मुख्यमंत्री

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को बिहार के हजारीबाग में हुआ था।  शिबू सोरेन का झारखंड से गहरा नाता था। वे तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और केंद्र में कोयला मंत्री भी रहे। उन्हें दिशोम गुरु और गुरुजी के नाम से जाना जाता है। आदिवासियों के शोषण के खिलाफ उनका लंबा संघर्ष रहा। उन्होंने 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 

इसके बाद 1980 से वे लगातार कई बार सांसद रहे। शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता का अभियान चलाया और राज्य को अलग पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे तीन बार (2005, 2008, 2009) झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। गुरुजी का जाना झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत है। आने वाली पीढ़ियाँ उनके योगदान को सदैव याद रखेंगी।

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