Shashi Tharoor Veer Savarkar Award Controversy : शशि थरूर ने ठुकराया ‘वीर सावरकर' पुरस्कार

खबर सार :-
Shashi Tharoor Veer Savarkar Award Controversy : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ‘वीर सावरकर पुरस्कार’ स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया और आयोजकों पर बिना अनुमति नाम घोषित करने का आरोप लगाया। वहीं एचआरडीएस-इंडिया ने दावा किया कि थरूर को पहले ही जानकारी दे दी गई थी। पूरा विवाद और बयान पढ़ें।

Shashi Tharoor Veer Savarkar Award Controversy : शशि थरूर ने ठुकराया ‘वीर सावरकर' पुरस्कार
खबर विस्तार : -

Shashi Tharoor Veer Savarkar Award Controversy : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आज साफ कर दिया कि वे ‘वीर सावरकर पुरस्कार’ को न तो स्वीकार करेंगे और न ही उससे जुड़े किसी समारोह में भाग ही लेंगे। थरूर का बयान उस समय सामने आया जब समारोह की आयोजक संस्था ’’हाई रेंज रूरल डेवलपमेंट सोसायटी (एचआरडीएस)-इंडिया’’ ने उनके नाम की घोषणा उनकी अनुमति के बिना ही कर दी थी।

पुरस्कार के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहींः थरूर

राष्ट्रीय राजधानी में पत्रकारों से बातचीत में तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने बताया कि उन्हें इस पुरस्कार के बारे में कहा कि मंगलवार को पहली बार मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से ही इसके बारे में पता चला’’। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम, पुरस्कार की प्रकृति या चयन प्रक्रिया के बारे में उन्हें कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गई थी। थरूर ने कहा, “जब पुरस्कार के स्वरूप और आयोजन से जुड़ी बुनियादी जानकारी ही उपलब्ध नहीं है, तो इसे स्वीकार करने या समारोह में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता। बिना मेरी सहमति के मेरा नाम घोषित करना बेहद गैरजिम्मेदाराना है।” इसके साथ ही उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि यह विवाद खत्म करने के लिए वे स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं, क्योंकि लगातार मीडिया उनसे एक ही सवाल पूछ रहा है।

कांग्रेस नेता का दावा, सावरकर ‘अंग्रेजों के सामने झुक गए थे’

इस पूरे विवाद के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पार्टी का कोई भी नेता, चाहे वह शशि थरूर ही क्यों न हों, सावरकर के नाम पर दिया जाने वाला सम्मान स्वीकार नहीं करना चाहिए। मुरलीधरन ने कहा कि सावरकर “अंग्रेजों के सामने झुक गए थे” और ऐसा पुरस्कार स्वीकार करना कांग्रेस के लिए ’’“शर्मिंदगी”’’ होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि थरूर अवश्य ही इस सम्मान को लेने से इंकार करेंगे, जो बाद में सही साबित हुआ।

थरूर का दावाः सूचना देर से मिली, आयोजकों का कहना, पहले ही दी थी जानकारी 

हालांकि, पुरस्कार आयोजक एचआरडीएस-इंडिया ने थरूर के दावे पर विरोधाभासी बयान दिया है। संस्था के सचिव अजी कृष्णन ने एक टीवी चैनल से कहा कि थरूर को काफी पहले ही पुरस्कार के बारे में सूचित कर दिया गया था। कृष्णन के अनुसार, एचआरडीएस के प्रतिनिधि और पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष स्वयं थरूर के आवास पर उनसे मिले थे। उन्होंने बताया कि मुलाकात के दौरान थरूर ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की पूरी सूची भी मांगी थी।

 स्थानीय चुनाव के दौरान पता चला नाम चयन का

थरूर ने स्पष्ट किया कि वे मंगलवार को केरल में स्थानीय निकाय चुनाव में मतदान के लिए गए थे और वहीं मीडिया में चल रही खबरों से उन्हें अपने नाम का पता चला। उन्होंने कहा कि उन्होंने उसी समय साफ कर दिया था कि उन्हें इस पुरस्कार की कोई जानकारी नहीं और न ही उन्होंने इसे स्वीकार करने पर सहमति दी है। बयानबाज़ी के बाद मामला और गरमाता गया, लेकिन थरूर ने अपनी अंतिम स्पष्टता में यह रेखांकित कर दिया कि वे किसी भी परिस्थिति में इस पुरस्कार को लेने नहीं जा रहे। वहीं, आयोजकों के दावों के बाद यह विवाद अभी और बढ़ सकता है कि क्या सचमुच थरूर को पहले सूचना दी गई थी या नहीं।
 

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