Sawan Somwar 2025 : सावन माह के तीसरे सोमवार को देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। देर रात से ही शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। भक्त शिव मंदिरों में पहुंचकर भोले बाबा का जलाभिषेक कर रहे हैं। हर तरफ हर महादेव और बोल बम के नारे गूंज रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ से लेकर वाराणसी और ग्रेटर नोएडा के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई।
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में भी सुबह से ही शिव भक्तों कतार लगी हुई है। सैंकड़ों श्रद्धालू बाबा विश्वनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचे हैं। मंदिर परिसर 'हर-हर महादेव' के जयघोष से गूंज उठा। मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने व्यापक व्यवस्था की थी, जिसमें प्रोटोकॉल के तहत स्पर्श दर्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था।
बाबा विश्वनाथ इस दिन अर्धनारीश्वर रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। पुलिस और प्रशासन की कड़ी व्यवस्था के बीच भक्तों ने भक्ति और उत्साह के साथ बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं में उत्साह चरम पर है और वे बाबा के दर्शन के लिए घंटों इंतजार करने को तैयार हैं।"साथ ही, श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं। मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों में पुलिस बल तैनात है और ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही है।
लखनऊ के मनकामेश्वर महादेव मंदिर में भोलेनाथ के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है। शिव भक्त भगवान शिव पर जल चढ़ाकर उनकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं। बाराबंकी के रामनगर स्थित प्रसिद्ध लोधेश्वर धाम में भी आज भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है। मंदिर के कपाट खुलते ही पूरा परिसर हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा। इस अवसर पर पूर्व विधायक शरद अवस्थी ने भक्तों पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाकर शिव भक्ति के इस पर्व को और भी खास बना दिया।
ग्रेटर नोएडा के मुबारकपुर गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भी सावन के तीसरे सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। सुबह से ही श्रद्धालु पूजा-अर्चना और जलाभिषेक के लिए पहुँच गए। भक्त संजय ने बताया, "यह मंदिर बहुत प्राचीन है और यहाँ बाबा से जो भी माँगा जाता है, वह पूरा होता है।"
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में 28 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है, इसलिए सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। वेरुल स्थित 'घृष्णेश्वर' मंदिर में लोग एकत्रित होते हैं, जिसे बारह ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम ज्योतिर्लिंग माना जाता है। दरअसल उत्तर भारत में श्रावण 15 दिन पहले शुरू होता है, लेकिन महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में श्रावण 15 दिन बाद शुरू होता है।
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