Rajyasabha Session 2025: राज्यसभा का 269वां सत्र शुक्रवार को औपचारिक रूप से संपन्न हो गया। सत्र के समापन पर उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने सदन की कार्यप्रणाली, उपलब्धियों और चुनौतियों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह सत्र संसदीय कार्य के लिहाज से अत्यंत सफल रहा और इसकी कुल उत्पादकता 121 प्रतिशत दर्ज की गई। पूरे सत्र में सदन ने लगभग 92 घंटे तक कार्य किया, जो हाल के वर्षों में उल्लेखनीय माना जा रहा है।
यह सत्र सीपी राधाकृष्णन का सभापति के रूप में पहला सत्र था। उन्होंने बताया कि सदन की सहमति से पांच दिनों तक देर रात तक बैठकें चलीं और कई बार भोजनावकाश भी स्थगित किया गया, ताकि विधायी और अन्य जरूरी कार्य समय पर पूरे हो सकें। उन्होंने सदस्यों के सहयोग को सराहा और कहा कि इसी सामूहिक प्रयास के कारण उच्च उत्पादकता संभव हो सकी।
इस सत्र में शून्यकाल के दौरान अभूतपूर्व सक्रियता देखने को मिली। प्रतिदिन औसतन 84 नोटिस प्राप्त हुए, जो पिछले दो सत्रों की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक हैं। वहीं, शून्यकाल में प्रतिदिन औसतन 15 से अधिक मुद्दे उठाए गए, जो लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। सत्र के दौरान 58 तारांकित प्रश्न, 208 शून्यकाल सबमिशन और 87 विशेष उल्लेख (स्पेशल मेंशन) किए गए।
राज्यसभा में इस सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक बहस हुई। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर दो दिनों तक विशेष चर्चा आयोजित की गई, जिसमें 82 सदस्यों ने भाग लिया। इसके अलावा, चुनाव सुधार जैसे अहम मुद्दे पर तीन दिनों तक चली बहस में 57 सदस्यों ने अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
विधायी कार्यों की दृष्टि से भी यह सत्र काफी महत्वपूर्ण रहा। सदन ने इस दौरान 8 विधेयकों को पारित या वापस किया। जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 से संबंधित सांविधिक संकल्प भी पारित किया गया, जिसमें कुल 212 सदस्यों ने भाग लिया। इसके साथ ही निजी सदस्यों के कार्यों में भी उल्लेखनीय भागीदारी देखी गई। सत्र के दौरान 59 निजी विधेयक पेश किए गए और निजी विधेयक व प्रस्तावों पर हुई चर्चा में 22 सदस्यों ने हिस्सा लिया।
हालांकि सत्र की उपलब्धियों के बीच सभापति ने विपक्षी सदस्यों के आचरण पर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि नारेबाजी, तख्तियां दिखाना, मंत्री के उत्तर में बाधा डालना और कागज फाड़कर सदन में फेंकना संसदीय गरिमा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं नहीं होंगी और सदन की मर्यादा बनी रहेगी। सभापति ने सत्र के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता सदन जेपी नड्डा, नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने सदस्यों और उनके परिवारों को क्रिसमस, नववर्ष और आने वाले विभिन्न पर्वों की शुभकामनाएं दीं।
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