Rahul Gandhi का मानवीय पहल : लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाक सेना की भीषण गोलाबारी में अपने माता-पिता खो चुके 22 बच्चों की जिम्मेदारी उठाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह कदम राहुल गांधी की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो उन्होंने मई में पुंछ के प्रभावित परिवारों से मुलाकात के दौरान जताई थी। उस समय उन्होंने इस त्रासदी को एक बड़ी घटना बताया था, जिसमें कई जानें गईं और भारी नुकसान हुआ। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लोगों से मिलकर उनकी पीड़ा समझी थी और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाने का आश्वासन दिया था।
पाक सेना ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास कई सेक्टरों में लगातार गोलाबारी की है। भारतीय सेना ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। मई में 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारत द्वारा पाक और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सैन्य हमलों के बाद पाक गोलाबारी की तीव्रता में वृद्धि देखी गई थी।
'ऑपरेशन सिंदूर' भारतीय सशस्त्र बलों की एक जवाबी कार्रवाई थी, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू की गई थी। पहलगाम में 26 नागरिकों के नरसंहार के दो हफ्ते बाद, 7 मई को भारतीय सेना ने पाक और PoK में जैश-ए-मोहम्मद के गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा के अड्डे मुरीदके सहित नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे। इन हमलों का उद्देश्य आतंकी गतिविधियों को निष्क्रिय करना और सीमा पार से होने वाले हमलों का बदला लेना था।
राहुल गांधी का इन बच्चों को गोद लेने का निर्णय केवल एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना का प्रतीक है। यह उन बच्चों के लिए एक नई उम्मीद है जिन्होंने अचानक अपने जीवन का सबसे बड़ा सहारा खो दिया। ऐसे कठिन समय में, यह पहल इन बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और एक सुरक्षित भविष्य प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह दर्शाता है कि त्रासदी के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति और समर्थन कितना आवश्यक है।
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