रायबरेली/नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से देश को शर्मसार करने और मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की कुछ ग्रामीणों ने बेरहमी से पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। ग्रामीणों ने उस पर चोर होने का आरोप लगाया। यह घटना न केवल यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज की जातिगत असहिष्णुता और भीड़तंत्र की खतरनाक मानसिकता को भी सामने लेकर आती है।
हरिओम वाल्मीकि की उम्र लगभग 30 वर्ष थी और वह यूपी के ही फतेहपुर जिले के तारावती क्षेत्र स्थित पुरवा गांव का निवासी था। बताया जा रहा है कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ था और अपनी पत्नी से मिलने रायबरेली आया था। इस दौरान ऊंचाहार गांव के पास कुछ ग्रामीणों ने उस पर चोरी का शक जताया और पूछताछ के दौरान जब वह स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया, तो उसे पीटना शुरू कर दिया।
घटना के कुछ ही समय बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने लगा जिसमें हरिओम को ग्रामीणों द्वारा बुरी तरह से पीटा जा रहा है। इस वीडियो के सामने आने के बाद पुलिस हरकत में आई और जांच शुरू की। पुलिस को दो अक्टूबर को रेलवे ट्रैक के पास उसका शव मिला, जिसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
घटना पर कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार को घेरते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता राहुल गांधी ने एक संयुक्त बयान में इस घटना को ’संविधान और इंसानियत के खिलाफ गंभीर अपराध’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार लोकतंत्र की आत्मा को कुचलने का कार्य कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर कहा कि यह पूरी घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई। उन्होंने कहा कि पुलिस चाहती तो हरिओम की जान बचा सकती थी, लेकिन उन्होंने मूकदर्शक की भूमिका निभाई। राय ने यह भी आरोप लगाया कि जब पीड़ित ने राहुल गांधी का नाम लिया, तो हमलावरों ने कथित रूप से कहा कि हम बाबा के लोग हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनका इशारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर था। उन्होंने राज्य में ‘बाबा का जंगलराज’ कहकर प्रशासन पर सीधा हमला बोला।
वायरल वीडियो और बढ़ते राजनीतिक दबाव के बीच, पुलिस ने अब तक पांच आरोपियों की पहचान कर ली है और उन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि लापरवाही बरतने के आरोप में ऊंचाहार थाने के एसएचओ संजय कुमार को पद से हटा दिया गया है। इसके अलावा एक सब-इंस्पेक्टर समेत तीन अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है।
कांग्रेस ने अपने बयान में कहा है कि यह हत्या केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि ’इंसानियत, संविधान और सामाजिक न्याय’ की हत्या है। पार्टी ने इसे एक ’सामूहिक नैतिक विफलता’ बताया और कहा कि यह घटना डॉ. आंबेडकर और महात्मा गांधी के उस भारत पर चोट पहुंचाती है, जहां अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी समान अधिकार और सम्मान मिलने की बात की जाती है। पार्टी ने देशभर में दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों का हवाला देते हुए कहा कि ’2014 के बाद से मॉब लिंचिंग, बुलडोजर न्याय और जातिगत हिंसा’ समाज की एक खतरनाक प्रवृत्ति बन गई है।
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