आपातकाल लगाकर लोगों को यातनाएं दीं : नरेंद्र मोदी

खबर सार :-
मन की बात कार्यक्रम में कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने और अमरनाथ यात्रा, जगन्नाथ रथ यात्रा जैसे आयोजनों की चर्चा की। देश को ट्रेकोमा रोग से मुक्त घोषित किए जाने पर बताया कि यह उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि अब देश की लगभग 64 प्रतिशत जनसंख्या को किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ मिल रहा है, जो 2015 से पहले सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सीमित था।

आपातकाल लगाकर लोगों को यातनाएं दीं : नरेंद्र मोदी
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आपातकाल की 50वीं बरसी पर 1975 में लगाए गए आपातकाल को अत्याचार बताया। उन्होंने कहा कि आपातकाल लगाने वालों का इरादा था कि वह न्यायपालिका को गुलाम बना लें। आपातकाल के दौरान प्रताड़ित किए गए हजारों लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी। पीएम अपने रेडियो कार्यक्रम ’मन की बात’ में बोल रहे थे। उस दौर को याद करते हुए कहा कि संविधान की हत्या करने का इरादा था। उन्होंने कहा कि जनता ने इनके प्रयासों और इनकी प्रताड़ना का एक साथ विरोध किया और यह दिखा दिया कि लोकतंत्र को किसी भी तरीके से दबाया नहीं जा सकता है।

पीएम ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि देश में हुए सकारात्मक बदलावों, सांस्कृतिक पर्वों, सामाजिक सहभागिता, महिलाओं की प्रगति, पर्यावरण संरक्षण और भारत की अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां पाने में देश बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं कि वह दौर कैसा था। उस दौर में लोगों को जमकर प्रताड़ित किया। प्रधानमंत्री ने यह बताने की कोशिश की कि जो बातें कह रहे हैं, वह काल्पनिक या झूठी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे उदाहरण हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, बाबू जगजीवन राम और अटल बिहारी वाजपेयी के पुराने ऑडियो भी उस दौर की भयावहता साबित कर रहे हैं।

एक मिसाल पेश करते हुए बताया कि जॉर्ज फर्नांडिस को जंजीरों में बांधा गया था। तमाम लोगों को कठोर यातनाएं झेलनी पड़ीं। मीसा के तहत तमाम लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। संविधान में दिए गए अधिकार अभिव्यक्ति की आजादी का भी गला घोंट दिया। गिरफ्तार किए गए लोगों पर अत्याचार हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत की जनता का सामर्थ्य है कि वह झुकी नहीं। उन्होंने कहा कि जनता ने लोकतंत्र के साथ कोई समझौता स्वीकार नहीं किया। इसी से उसकी जीत हुई और आपातकाल हटा लिया गया। 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की भव्यता का वर्णन किया

नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की भव्यता का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि इस बार योग दिवस पर तीन लाख लोगों ने विशाखापत्तनम के समुद्र तट पर एक साथ योग किया। उन्होंने याद दिलाया कि दो हजार से अधिक आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक सूर्य नमस्कार किया। यमुना के किनारे योग को स्वच्छता के संकल्प से जोड़ा गया तो दिल्ली के लोग भी प्रसन्न नजर आए। उन्हांने कहा कि हिमालय से लेकर नौसेना के जहाजों तक योग हुआ। ‘एक धरती, एक स्वास्थ्य’ इस बार का वैश्विक एकता और भारतीय संस्कृति का सन्देश माना गया। यही इस बार की थीम थी। 

पर्यावरण के क्षेत्र में पुणे के रमेश खर्माले द्वारा पहाड़ियों पर जल संरक्षण और वृक्षारोपण, अहमदाबाद में ’सिंदूर वन’ और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसे अभियानों का भी प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया और कहा कि इनसे पर्यावरण के लिए प्रेरणा लेनी होगी। महत्वपूर्ण यह रहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर क्षेत्र में नया इतिहास रच रहा है। उनका इशारा अंतरिक्ष में हाल की सफलता को लेकर था। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत, महिला सशक्तिकरण, स्वदेशी उत्पादों के समर्थन और पर्यावरण संरक्षण पर सबका साथ मांगा। इसके अलावा उन्होंने असम के बोडोलैंड क्षेत्र में हो रहे फुटबॉल टूर्नामेंट, तेलंगाना के भद्राचलम की महिलाओं द्वारा बनाए गए बाजरे के बिस्किट और सस्ते सैनिटरी पैड, कर्नाटक के कलबुर्गी की महिलाओं द्वारा तैयार की जा रही ज्वार की रोटियों, मध्यप्रदेश की सुमन द्वारा मशरूम उत्पादन, मेघालय के एरी रेशम का भी जिक्र किया। 


 

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