Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में आपातकाल (emergency) की 50वीं वर्षगांठ पर उसके काले अध्याय को याद किया और कहा कि यह सिर्फ संविधान की हत्या नहीं थी, बल्कि न्यायपालिका को गुलाम बनाने की कोशिश भी थी। उन्होंने उन हजारों लोगों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने अत्याचारों का सामना करते हुए लोकतंत्र की रक्षा की। मोदी ने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों को प्रताड़ित किया गया।
जॉर्ज फर्नांडिस को जंजीरों में जकड़ दिया गया, छात्रों को परेशान किया गया और लोगों को मीसा कानून के तहत बिना वजह जेलों में डाल दिया गया। अभिव्यक्ति की आजादी को पूरी तरह कुचल दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं कि वह दौर कैसा था। आपातकाल (emergency) लगाने वालों ने न सिर्फ हमारे संविधान की हत्या की, बल्कि न्यायपालिका को भी गुलाम बनाने की मंशा थी। इस दौरान बड़े पैमाने पर लोगों को प्रताड़ित किया गया। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, बाबू जगजीवन राम और अटल बिहारी वाजपेयी के पुराने ऑडियो भी शेयर किए, जिसमें उन्होंने उस दौर की भयावहता को बयां किया है।
उन्होंने कहा कि जॉर्ज फर्नांडिस साहब को जंजीरों में बांध दिया गया था। कई लोगों को कठोर यातनाएं दी गईं। मीसा के तहत किसी को भी ऐसे ही गिरफ्तार किया जा सकता था। छात्रों को भी परेशान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी का भी गला घोंटा गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उस दौरान गिरफ्तार किए गए हजारों लोगों पर ऐसे अमानवीय अत्याचार किए गए, लेकिन यह भारत के लोगों की ताकत है कि वे झुके नहीं, टूटे नहीं और लोकतंत्र से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया। आखिरकार जनता की जीत हुई- आपातकाल हटा लिया गया और आपातकाल लगाने वालों की हार हुई।
पीएम मोदी ने कहा, "यह भारत के लोगों की ताकत थी कि वे झुके नहीं, टूटे नहीं और लोकतंत्र से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया।" 25 जून को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार ने इसे "संविधान हत्या दिवस" के रूप में मनाया। मोदी ने कहा कि देश पर आपातकाल लगाए जाने के 50 साल अभी कुछ दिन पहले ही पूरे हुए हैं। हम देशवासियों ने 'संविधान हत्या दिवस' मनाया है। हमें उन सभी लोगों को हमेशा याद रखना चाहिए जिन्होंने आपातकाल का डटकर मुकाबला किया। इससे हमें अपने संविधान को मजबूत बनाए रखने के लिए निरंतर सजग रहने की प्रेरणा मिलती है।
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