Parliament Winter Session: लोकसभा में चुनावी सुधारों और SIR पर गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के दौरान काफी हंगामा हुआ। शाह की विपक्ष के नेता राहुल गांधी से तीखी बहस हुई। इस दौरान राहुल ने गृह मंत्री को डिबेट के लिए खुली चुनौती दे डाली। वहीं गृह मंत्री के संबोधन बीच कांग्रेस पार्टी ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
सदन में शाह ने अपनी बात रखते हुए नेहरू के समय से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल तक हुए SIR का ज़िक्र किया। उन्होंने सवाल उठाया कि तब विरोध क्यों हुआ था और अब क्यों हो रहा है। इस दौरान शाह ने SIR पर राहुल की तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस का ज़िक्र किया और कहा कि वह उन सभी का जवाब देंगे। तभी राहुल खड़े हुए और उन्हें बहस के लिए चुनौती दी। जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल को करारा जवाब दिया। इस दौरान दोनों नेताओं ने जमकर बहस हुई।
अमित शाह ने कहा कि सदन में इस चर्चा पर बात न करने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वे (विपक्ष) स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के नाम पर चर्चा की मांग कर रहे थे। इस सदन में SIR पर चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि SIR की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग की है। भारत निर्वाचन आयोग और चुनाव आयुक्त सरकार के अधीन काम नहीं करते हैं। अगर चर्चा होती, और कुछ सवाल पूछे जाते, तो उनका जवाब कौन देता?
अमित शाह ने कहा कि पहला SIR 1952 में हुआ था। उस समय कांग्रेस पार्टी के जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे। दूसरा SIR 1957 में हुआ था। उस समय भी कांग्रेस पार्टी के जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। तीसरा SIR 1961 में हुआ था। उस समय भी कांग्रेस पार्टी के जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। 1965-66 में एक SIR हुआ था, उस समय कांग्रेस के लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे। 1983-84 में एक SIR हुआ था, उस समय इंदिरा गांधी पीएम थीं। 1987-89 में एक SIR हुआ था, उस समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।
1992-95 में एक SIR हुआ था, उस समय पीवी नरसिम्हा राव पीएम थे। 2002-03 में एक SIR हुआ था, उस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। SIR 2004 में खत्म हुआ था, उस समय डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। अमित शाह ने चुनाव आयोग की शक्तियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि संविधान के आर्टिकल 324 के तहत चुनाव आयोग का गठन होता है, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होती है, और सभी चुनावों-लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों-पर पूरा कंट्रोल चुनाव आयोग के पास होता है।
उन्होंने कहा कि संविधान का आर्टिकल 326 वोटर होने की योग्यता, क्वालिफिकेशन और शर्तों को बताता है। पहली शर्त यह है कि वोटर भारत का नागरिक होना चाहिए, विदेशी नहीं। उन्होंने आगे कहा, "ये (विपक्षी पार्टियां) पूछ रही हैं कि चुनाव आयोग स्पेशल समरी रिवीजन (SSR) क्यों कर रहा है? खैर, यह चुनाव आयोग का कर्तव्य है, इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का गठन देश के संविधान के आर्टिकल 324 के तहत हुआ था। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। संविधान में चुनाव आयोग के गठन, उसकी शक्तियों, चुनावी प्रक्रिया, वोटर की परिभाषा, और वोटर लिस्ट तैयार करने और उसमें बदलाव करने का प्रावधान है, और ये प्रावधान हमारी पार्टी बनने से पहले ही किए गए थे।
उन्होंने कहा कि आर्टिकल 327 के तहत, वोटर लिस्ट तैयार करने, परिसीमन और चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी, जिसमें संबंधित कानूनों की सिफारिश करने की शक्ति भी शामिल है, चुनाव आयोग को सौंपी गई है। गृह मंत्री ने कहा कि हाल ही में, एक कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चुनाव आयोग को SSR कराने का कोई अधिकार नहीं है। हालांकि, आर्टिकल 327 की व्याख्या के अनुसार, चुनाव आयोग के पास इस उद्देश्य के लिए वोटर लिस्ट तैयार करने का पूरा अधिकार है।
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