Pandit Chhannulal Mishra: पद्भूषण से सम्मानित शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन

खबर सार :-
Pandit Chhannulal Mishra Passes Away: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित छन्नूलाल मिश्र का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। आजमगढ़ में जन्मे पंडित छन्नूलाल ने अपनी भावपूर्ण गायकी से ठुमरी और पूर्वा अंग को अमर कर दिया। वे किराना-बनारस घराने के प्रतिनिधि थे। उन्हें 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

Pandit Chhannulal Mishra: पद्भूषण से सम्मानित शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन
खबर विस्तार : -

Pandit Chhannulal Mishra Passes Away: पद्म भूषण से सम्मानित शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबी बीमारी से जूझ रहे पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने गुरुवार सुबह 4:15 बजे मिर्जापुर में अंतिम सांस ली। वे सेप्टीसीमिया से पीड़ित थे। खबरों के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार वाराणसी में किया जाएगा।

Chhannulal Mishra: संगीत जगत में छोड़ी विशिष्ट छाप

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के बनारस घराने, विशेष रूप से ख़याल और "पूरब अंग" ठुमरी के प्रणेता पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने संगीत जगत में अपनी एक विशिष्ट छाप छोड़ी है। ठुमरी, दादरा, चैती और भजनों के अपने गायन से भारतीय संगीत को समृद्ध करते हुए, छन्नूलाल मिश्रा ने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुँचाया।

पीएम मोदी के बने थे प्रस्तावक

3 अगस्त, 1936 को आजमगढ़ में जन्मे पंडित छन्नूलाल मिश्र (Pandit Chhannulal Mishra) ने वाराणसी को अपनी कर्मभूमि चुना। उन्हें 2020 में पद्म विभूषण, 2010 में पद्म भूषण और 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 2010 में यश भारती पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। छन्नूलाल मिश्र आकाशवाणी और दूरदर्शन में उच्च श्रेणी के कलाकार रहे हैं। उन्होंने संस्कृति मंत्रालय (उत्तर-मध्य) सरकार के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। जब नरेंद्र मोदी ने 2014 का लोकसभा चुनाव पहली बार वाराणसी सीट से लड़ने का फैसला किया, तो छन्नूलाल मिश्र उनके प्रस्तावक बने।

कुछ दिन पहले पड़ा था दिल का दौरा

गौरतलब है कि पंडित छन्नूलाल मिश्रा को तीन हफ्ते पहले शनिवार को हल्का दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद उन्हें बीएचयू के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उनकी जांच की और सीने में संक्रमण और एनीमिया का निदान किया। तीन हफ्ते के इलाज के बाद, उन्हें शुक्रवार को बीएचयू अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इसके बाद उनकी बेटी उन्हें मिर्जापुर ले आईं और रामकृष्ण सेवा मिशन अस्पताल में भर्ती कराया।

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