लखनऊ, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल दुनिया के तमाम देशों में अपनी मितव्ययिता, विद्वता, तार्किक क्षमता और साक्ष्यों का प्रस्तुतिकरण कर रहा है। इसमें जिन लोगों को भारत विदेशों में भेज रहा है, उन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय एकता के साथ देश के सहिष्णु स्वभाग को भी दुनिया के सामने सजीव रूप में रखा है। इसके लिए देश में किसी प्रकार के विशेषज्ञों की सेवाएं भी नहीं ली गई हैं। सर्वदलीय प्रतिनिधियों का नेतृत्व करने वालों की उनके ही दल में अब आलोचनाएं भी हो रही हैं।
उनके अपने लोग पूछ रहे हैं कि विदेशों में जो लोग गए, उनकी मुलाकात किन बड़े राजनयिकों से हुई है। सवाल पूछने वाले को भी यह नहीं मालूम है कि वह जिस कटुता का प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे देश का मूड खराब हो रहा है। वक्त यह है कि देश हो या विदेश, राष्ट्रीय एकता के मसले पर किसी प्रकार की खिल्ली उड़ाने की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी। कई दलों के नेताओं ने अपनी बात को विदेशों में ऐसा रखा, जैसे हीरे पर जौहरी ने काम किया है। इन दिनों ऐसे लोगों में कई नेताओं के नाम देश और दुनिया में छाए हुए हैं। इन्होंने देशवासियों का मस्तक गर्व से ऊंचा कर दिया है। डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि, ऑपरेशन सिंदूर के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार के प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में जो काम किया है, उससे वह देश के रत्न बन गए हैं।
स्पेन में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर चुकीं डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि कई देशों में भारत की अनेकता में एकता से परिचित करा चुकी हैं। कनिमोझी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल की पांच देशों की यात्राएं पूरी हो चुकी हैं। उनके साथ समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव कुमार राय, भाजपा के बृजेश चौटा, आप के अशोक मित्तल, राजद के प्रेम चंद गुप्ता और पूर्व राजनयिक मंजीव सिंह पुरी शामिल थे। कनिमोझी की तरह ही कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अमेरिका की धरती से डोनाल्ड ट्रंप जैसे बड़े नेता को सीख दी है।
भारत-पाक के बीच सीजफायर को लेकर देश में विवाद बढ़ा, तो थरूर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बाहरी मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने दो बातें ऐसी कहीं जो देशभक्तों को रास आएंगी। उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसी मुल्क बराबर नहीं हैं। ऐसे में असमान पक्षों के बीच मध्यस्थता की बात ही सही नहीं है। भारत का संदेश पूरी दुनिया को मिल रहा है। थरूर जिस तरह से जवाब दे रहे हैं, वह देश का रत्न ही कर सकता है। मंझे हुए खिलाड़ी की तरह हर प्रश्न और हर विवाद का पटाक्षेप कर रहे हैं। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा था कि भारत-पाक के बीच सीजफायर कराने में उन्होंने मदद की।
थरूर ने एक और बात वाशिंगटन में कही थी। वह यह कि एक देश जो आतंकवाद को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है और एक देश जो एक समृद्ध बहुदलीय लोकतंत्र है। इन सभी बातों को देश की राजनीतिक समझदारी के रूप में ही देखा जा रहा है। 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। 10 मई को पाकिस्तान और भारत सीजफायर पर सहमत हुए थे।
हमेशा मुस्लिमों की वकालत करने वाले एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार के प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में विदेशों में पाकिस्तान की ऐसी पोल खोली, जिस पर पाक के कई नेता औवैसी को सीधे घेरने लेगे। ओवैसी अल्जीरिया, सऊदी अरब, कुवैत और बहरीन की यात्रा पर गए थे। औवैसी पर कुछ लोग अब हिंदू हृदय सम्राट बनने का आरोप लगा रहे हैं। वह कहते हैं कि मैं बदलने वाला नहीं हूं, जहां पर देश की बात आएगी, वहां पर देश के हित में बात होगी। हैदराबाद के सांसद ने आगे कहा ऑपरेशन सिंदूर, सीज फायर और पहलगाम की सुरक्षा में चूक पर हम संसद में चर्चा चाहते हैं।
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