यदि एकजुट रहना है तो देश को एक संविधान से चलना होगा : सीजेआई

खबर सार :-
प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गवई को शपथ दिलाए जाने के बाद उनके सम्मान में एक विशेष कार्यक्रम हुआ था। इसमें उन्होंने तमाम बातें भावुक अंदाज में बताईं। उन्होंने एक देश के लिए एक संविधान को उचित कहा। परिवार का जिक्र करते हुए कहा कि पिता की चाहत थी कि मैं वकील बनूं।

यदि एकजुट रहना है तो देश को एक संविधान से चलना होगा : सीजेआई
खबर विस्तार : -

लखनऊ, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने वाले संसद के फैसले पर प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने आज शनिवार को नागपुर में अपने मन की बात बताई है। प्रधान न्यायाधीश यहां एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, इसी दौरान  धारा 370 का जिक्र आया तो उन्होंने बताया कि आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने संसद के इस फैसले पर अपनी मुहर क्यों लगाई। मन से भावुक सीजेआई ने कहा कि ’देश को यदि एकजुट रहना है तो देश को एक संविधान से चलना होगा।

उन्होंने सभी राज्यों में एक जैसे कानून का पक्ष लिया और कहा कि एक राज्य के लिए अलग से कानून बनाए रखना बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की सोच के अनुरूप नहीं था। उन्होंने कहा कि हमने सर्वसम्मत से अनुच्छेद 370 को खत्म करने वाले संसद के फैसले को स्वीकार किया। आशय था कि यदि यह फैसला नहीं माना जाता तो देश में केवल एक राज्य के लिए अलग संविधान काम करता। सीजेआई ने कहा कि देश को एकजुट रहने के लिए एक संविधान से चलना होगा। प्रधान न्यायाधीश शुक्रवार को काफी भावुक नजर आए। वह विशेष मुद्दे पर अपना अनुभव साक्षा कर रहे थे।

इसी बीच पारिवारिक और राष्ट्र की जिम्मेदारियों के प्रति खुद के रवैये पर भी वह बोले। अपने माता-पिता के संघर्षों का भी जिक्र किया। इस दौरान काफी गंभीरता के साथ प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि किस प्रकार उनके पिता की आकांक्षाओं ने उनके जीवन को आकार दिया। नम आंखों और रुंधे स्वर में उन्होंने कहा कि मैं वास्तुशास्त्री बनना चाहता था। पर मेरे पिता ने मेरे लिए कुछ और सपने देखे थे। उनकी चाहत थी कि मैं वकील बनूं। पिछले महीने भारत के 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गवई ने शपथ ली। नागपुर जिला न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को वह संबोधित कर रहे थे। सीजेआई गवई ने अपने संयुक्त परिवार का जिक्र किया। इसमें सभी रिश्ते थे। न्यायमूर्ति ने कहा कि जब उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद के लिए मेरे नाम की संस्तुति की गई तो मेरे पिता ने कहा कि अगर तुम न्यायाधीश बनोगे तो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर समाज का भला करोगे।

 

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