मरना कबूल लेकिन...वंदे मातरम पर ओवैसी के बाद क्या कुछ बोले मौलाना अरशद मदनी

खबर सार :-
Arshad Madani on Vande Mataram: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के चीफ मौलाना अरशद मदनी ने वंदे मातरम को शिर्क (मूर्ति पूजा) से जुड़ा बताया है और इसे मुसलमानों के लिए नामंज़ूर बताया है। उन्होंने कहा कि हालांकि उन्हें गाने से कोई एतराज़ नहीं है, लेकिन इसका ट्रांसलेशन इस्लाम के खिलाफ है।

मरना कबूल लेकिन...वंदे मातरम पर ओवैसी के बाद क्या कुछ बोले मौलाना अरशद मदनी
खबर विस्तार : -

Arshad Madani on Vande Mataram: संसद में वंदे मातरम पर चल रही चर्चा के बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का बड़ा बयान सामने आया है। मौलाना मदनी के इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में एक नई बहस छेड़ दी है। 'वंदे मातरम' की 150वीं सालगिरह पर संसद में खास चर्चा के समय आए इस बयान से बहस और तेज होने की उम्मीद है।

दरअसल अरशद मदनी ने साफ कहा कि मुसलमानों को "वंदे मातरम" पढ़ने या गाने से कोई एतराज नहीं है, लेकिन उन्हें इसे धार्मिक तौर पर मानने या गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका मतलब इस्लामी आस्था के खिलाफ है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट करते हुए कहा मौलाना मदनी ने कहा-  "हमें किसी के 'वंदे मातरम' पढ़ने या गाने से कोई एतराज नहीं है, लेकिन मुसलमान सिर्फ़ एक अल्लाह की इबादत करते हैं और अल्लाह के अलावा किसी और को अपनी इबादत में शामिल नहीं कर सकते।

मौलाना अरशद मदनी ने संविधान का दिया हवाला

'वंदे मातरम' का ट्रांसलेशन शिर्क से जुड़ी मान्यताओं पर आधारित है। इसके चार श्लोकों में देश को देवतुल्य मानकर इसकी तुलना की दुर्गा माता से की गई है। साथ ही 'मां, मैं तेरी पूजा करता हूं' यही वंदे मातरम का अर्थ है। यह किसी भी मुसलमान की धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। इसलिए, किसी को भी अपने धर्म के खिलाफ कोई नारा या गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक आज़ादी (आर्टिकल 25) और बोलने की आज़ादी (आर्टिकल 19) की गारंटी देता है।"

Arshad Madani on Vande Mataram: मरना कबूल है, लेकिन शिर्क मंजूर नहीं

उन्होंने 'X' पोस्ट में आगे लिखा, "अपने देश से प्यार करना एक बात है, उसकी इबादत करना दूसरी बात है। मुसलमानों को किसी के देशभक्ति के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है। आजादी की लड़ाई में उनकी कुर्बानियां इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हैं।" मदनी ने 'X' पोस्ट के आखिर में लिखा, "हम एक खुदा (अल्लाह) में यकीन रखते हैं। हम अल्लाह के अलावा किसी को इबादत के लायक नहीं मानते, न ही किसी के आगे सजदा करते हैं। हम मरने को तैयार हैं, लेकिन शिर्क (किसी को भी भगवान के साथ जोड़ना) कभी नहीं मानेंगे।"

अन्य प्रमुख खबरें