Kolkata Gita Path: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने के बाद, तृणमूल कांग्रेस के भरतपुर से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। कबीर ने नई पार्टी बनाने की बात कही है। वहीं दूसरी ओर रविवार को कोलकाता के प्रसिद्ध ब्रिगेड ग्राउंड में गीता पाठ कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें पांच लाख लोगों ने भाग लिया।
इस भव्य कार्यक्रम में कार्यक्रम में कार्तिक महाराज, साध्वी ऋतंभरा, बाबा रामदेव, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जैसी हस्तियों के साथ-साथ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी, शमीक भट्टाचार्य, केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार भी मौजूद रहे। गीता पाठ ने भी राजनीतिक तनाव को और हवा दे दी है। आयोजकों ने बताया कि इस कार्यक्रम का मकसद बंगाल की आध्यात्मिक विरासत को याद करना और धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देना है। इसे राज्य ही नहीं, शायद देश में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक गीता पाठ माना जा रहा है।
सनातन संस्कृति संसद द्वारा आयोजित 'लक्ष्य कंठे गीता पाठ' (दस लाख आवाजों में गीता पाठ) के अवसर पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, "आज पश्चिम बंगाल की पवित्र भूमि, कोलकाता में, 500,000 (पांच लाख ) लोगों ने एक साथ गीता का पाठ किया। उत्साह और विश्वास की लहर देखकर ऐसा लगा जैसे कोलकाता में महाकुंभ मेला लगा हो। हम पश्चिम बंगाल और कोलकाता के लोगों और भारत के लोगों का दिल से आभार व्यक्त करते हैं। सनातन एकता इस देश और दुनिया के लिए शांति का सबसे बड़ा स्रोत है। भारत में हमें 'सनातनियों' की ज़रूरत है, न कि 'संघर्ष पैदा करने वालों' की। भारत में हमें 'भगवा-ए-हिंद' की ज़रूरत है, न कि 'गज़वा-ए-हिंद' की।"
उधर बंगाल भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने गीता पाठ कार्यक्रम में पहुंचकर हुमायूं के बाबरी मस्जिद मुद्दे पर तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की आलोचना की। केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने साफ तौर पर कहा कि हमने कल जो देखा, वह साफ तौर पर हिंदू वोटों को बांटने और मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की साजिश दिखाता है। जो कुछ हो रहा है, उसके लिए ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं।
उन्होंने बार-बार ऐसी सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा दिया है। 2021 के चुनावों में ममता बनर्जी को हिंदू वोटों का बहुमत नहीं मिला। हिंदुओं को ममता बनर्जी पर भरोसा नहीं है। हालांकि, सुकांत ने कहा कि चुनाव का गीता पाठ से कोई सीधा संबंध नहीं है। गीता पाठ हिंदुओं के लिए एक कार्यक्रम है। राजनीति तो राजनीति रहेगी, लेकिन गीता शाश्वत है।
गौरतलब है कि यह पूरा घटना क्रम बंगाल की राजनीति में नए समीकरण बना रहा है। एक तरफ हुमायूं कबीर बाबरी मस्जिद की नींव रखने को लेकर विवादों में घिरे हैं, वहीं दूसरी तरफ भगवद गीता के इस विशाल पाठ को भी राजनीतिक नजरिए से देखा जा रहा है। आने वाले चुनावों को देखते हुए, ये दोनों घटनाएं बंगाल की राजनीति में अहम मोड़ साबित हो सकती हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि धार्मिक मुद्दों पर यह राजनीतिक दांव-पेच राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को जन्म दे सकता है, जिससे बंगाल की सामाजिक सद्भाव के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है।
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