VS Achuthanandan death: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस.अच्युतानंदन का निधन

खबर सार :-
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का 101 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्होंने सोमवार को तिरिवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वीएस के निधन पर सीपीआईएम पार्टी ने अपना लाल झंडा झुकाने का ऐलान किया है।

VS Achuthanandan death: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस.अच्युतानंदन का निधन
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः  केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन का सोमवार को तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 101 साल के थे। उन्होंने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनके निधन की खबर मिलते ही मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और सीपीआई(एम) राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन अस्पताल पहुंचे और परिजनों से मुलाकात की। इसके बाद कई अन्य राजनीतिक हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। सीपीआई-एम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि कॉमरेड वीएस अच्युतानंदन को श्रद्धांजलि अर्पित। उनके सलामी में अपना लाल झंडा झुकाता हूं। 

केरल की जनता के लिए माने जाते हैं प्रेरणास्रोत

वी.एस. अच्युतानंदन का राजनीतिक जीवन केरल की जनता के लिए प्रेरणास्रोत रहा है। अपने राजनीतिक सफर में उन्होंने अनेकों उतार-चढ़ाव देखे लेकिन कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। वर्ष 2001 से 2006 तक उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में यूडीएफ सरकार के खिलाफ मुखरता से आवाज उठाई। इसके बाद 2006 में एलडीएफ को चुनाव जिताकर मुख्यमंत्री (2006-2011) बने। इसके बाद वर्ष 2011 में चुनाव के दौरान भी अच्युतानंदन ने एलडीएफ का नेतृत्व किया, लेकिन इस बार ओमन चांडी की अगुवाई में यूडीएफ ने 140 में से 72 सीटें जीतकर सरकार बनाई। बता दें, राजनीति में अच्युतानंदन की पहचान एक जुझारू, ईमानदार और जनसरोकारों से जुड़े नेता के रूप में थी। उनकी लोकप्रियता सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं तक सीमित नहीं थी, बल्कि आम जनता का भी उन्हें खास सम्मान मिला। उनका निधन केरल की राजनीति में एक युग के अंत का प्रतीक है, एक ऐसा युग जिसमें विचारधारा, संघर्ष और जनसेवा प्रमुख रहे। 

1964 में सीपीआई से अलग होकर बनाई थी सीपीआई-एम

‘वीएस’ के नाम से मशहूर अच्युतानंदन 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से अलग होकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) बनाने वाले 32 संस्थापकों में से दो जीवित बचे नेताओं में से एक थे। बीते कुछ सालों से वे सार्वजनिक जीवन से दूर थे और तिरुवनंतपुरम में अपने बेटे के घर पर रहते थे। उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वह अपना ज्यादातर समय घर पर गुजार रहे थे। उनके निजी सचिव ए.जी. शशिधरन नायर ने बताया कि 'वीएस एक ऐसा नेता था जो कभी किसी से डरते नहीं थे। जब भी वह किसी मुद्दे को उठाते थे, पार्टी लाइन की परवाह नहीं करते थे'। उन्होंने 2008 की एक घटना का जिक्र किया जब उनके बेटे वी.ए. अरुण कुमार की नियुक्ति पर लगे आरोपों की जांच खुद विधानसभा समिति से कराने की घोषणा वीएस ने की थी। हालांकि, बाद में आरोप झूठे साबित हुए हैं।

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