Jyothi Yarraji एशियाई चैम्पियनशिप 2025: सुनसान स्टेडियम में ज्योति याराजी की स्वर्णिम कहानी

खबर सार :-
Jyothi Yarraji एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2025 में 100 मीटर हर्डल्स का स्वर्ण जीतने के बाद सुनसान स्टेडियम में तिरंगे के साथ खड़ी ज्योति याराजी का भावुक पल सोशल मीडिया पर चर्चा में है।

Jyothi Yarraji एशियाई चैम्पियनशिप 2025: सुनसान स्टेडियम में ज्योति याराजी की स्वर्णिम कहानी
खबर विस्तार : -

Jyothi Yarraji एशियाई चैम्पियनशिप 2025: दक्षिण कोरिया के गुमी शहर में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2025 का समापन भले ही हो चुका हो, लेकिन भारत खामोश स्टेडियम में गूंजा तिरंगे का सम्मान, ज्योति याराजी की आंखों से बहती जीत की कहानी की एक बेटी का भावनात्मक क्षण अब भी लोगों के दिलों में उतरता जा रहा है। यह क्षण था भारतीय हर्डलर ज्योति याराजी की स्वर्णिम जीत के बाद का, जिसने खेल प्रेमियों को भीतर तक झकझोर दिया।

Jyothi Yarraji एशियाई चैम्पियनशिप 2025 का नया रिकॉर्ड

महिला 100 मीटर हर्डल्स स्पर्धा में ज्योति याराजी ने 12.96 सेकंड का शानदार समय निकालते हुए न सिर्फ स्वर्ण पदक अपने नाम किया, बल्कि चैम्पियनशिप का नया रिकॉर्ड भी कायम किया। इस उपलब्धि के साथ वह टूर्नामेंट की सबसे चर्चित भारतीय एथलीटों में शामिल हो गईं। हालांकि, जो दृश्य अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, वह पदक जीतने का नहीं, बल्कि उसके बाद का है। पुरस्कार वितरण के समय स्टेडियम लगभग खाली था। न दर्शकों की भीड़, न तालियों की गूंज और न ही कोई शोर। उस सन्नाटे में जब तिरंगा फहराया गया, तो पोडियम पर खड़ी ज्योति की आंखों से आंसू छलक पड़े।

Jyothi Yarraji एशियाई चैम्पियनशिप 2025 का यह भावुक पल अब महिला खिलाड़ियों के आत्मबल का प्रतीक बना

यह आंसू सिर्फ खुशी के नहीं थे, बल्कि वर्षों की कठिन ट्रेनिंग, सीमित संसाधनों, मानसिक दबाव और अनगिनत संघर्षों का प्रतिबिंब थे। वह अकेली खड़ी थीं, लेकिन उनके पीछे पूरे देश की उम्मीदें और सपने खड़े थे। एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2025 में भारत ने कुल 24 पदक जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया, जिनमें 8 स्वर्ण, 10 रजत और 6 कांस्य शामिल रहे। इस सफलता में ज्योति याराजी का योगदान बेहद अहम रहा। ज्योति का यह भावुक पल अब महिला खिलाड़ियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मबल का प्रतीक बन चुका है। यह दृश्य बताता है कि असली जीत हमेशा शोर-शराबे की मोहताज नहीं होती। कई बार सबसे ऊंची उड़ानें खामोशी में भरी जाती हैं। यह क्षण सिर्फ एक एथलेटिक उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज के लिए एक संदेश है कि महिलाएं तमाम बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ती हैं, देश के लिए दौड़ती हैं और तिरंगे को गर्व से ऊंचा उठाती हैं।

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