झांसीः झांसी महानगर में पर्यटन की संभावनाएं काफी सालों से तलाशी जा रही है। कोशिश की जा रही है की झांसी में बाहर से आने वाले पर्यटक पूरे झांसी को घूम सकें एवं झांसी के आसपास ओरछा दतिया आदि जाने के लिए उन्हें परेशान ना होना पड़े। इन्हीं सब सुविधाओं के लिए लगभग 4 वर्ष पहले स्मार्ट सिटी योजना से पांच इलेक्ट्रिक कार खरीदी गई थी जिनकी कीमत लगभग ढाई करोड़ के आसपास थी लेकिन इन कारों ने कुल राजस्व ₹90000 ही दे पाई।
झांसी महानगर क्योंकि वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की नगरी है अतः यहां पर्यटकों का काफी आना-जाना लगा रहता है। लेकिन पर्यटक झांसी ना रुककर सीधे मध्य प्रदेश की ओर निकल जाते हैं क्योंकि झांसी लोकल में सुविधाजनक भ्रमण के लिए बहुत अच्छे साधन नहीं थे इसी दिक्कत को देखते हुए स्मार्ट सिटी योजना से यह पांच इलेक्ट्रिक कार खरीदी गई थी। पर्यटकों को लुभाने के लिए और भी बहुत सारे प्रयास किए गए लेकिन विदेशी पर्यटकों के ग्रुप को झांसी में नहीं रोका जा सका है। झांसी में बहुत ही उच्च स्तरीय होटल एवं अन्य पर्यटन स्थल वाली सुविधाएं नहीं जुट पाई हैं जिससे विदेशी पर्यटक झांसी ना रुककर मध्य प्रदेश में खजुराहो के लिए प्रस्थान कर जाते हैं।
सन 2021 में ऐजल कंपनी ने लगभग ढाई करोड़ रुपए की कीमत की 5 इलेक्ट्रिक कारों की सप्लाई की थी कंपनी को 5 वर्ष तक इन कारों के संचालन की जिम्मेदारी भी सौंप गई। 4 वर्ष में इन कारों ने महज 700 सैलानियों को ही झांसी की सैर कराई इससे महज 90000 रुपए का राजस्व ही स्मार्ट सिटी को मिल पाया अफसरों ने इन कारों के संचालन के लिए कुछ और भी प्रयोग किया लेकिन सफल नहीं हुई जिसके बाद इन कारों को कंपनी से वापस लेने का निर्णय लिया गया अब इन कारों को विभागीय उपयोग में लिया जाएगा। इस बारे में नगर आयुक्त झांसी सत्य प्रकाश का कहना है कि इन कारो का उपयोग अब विभागीय कार्यों में किया जाएगा इसके लिए दो कार स्मार्ट सिटी तथा तीन कार नगर निगम के हवाले कर दी गई हैं।
इससे विभाग में लगे किराए के वाहनों को हटाया जाएगा जिनकी जगह यह कारें लेंगी। ऐसा नहीं है कि सैलानियों को झांसी की सैर कराने के लिए खरीदी गई इन कारों को संचालित करने के लिए अधिकारियों ने काफी प्रयोग एवं प्रयास किया। इसके लिए सस्ते टूर पैकेज भी बनाए गए लेकिन पर्यटको ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।इन कारों को ओला की तर्ज पर चलाने का भी निर्णय लिया गया लेकिन इसमें भी महीने में महज 12 से 15 बुकिंग ही मिल सकी। अब अधिकारियों ने इन कारों को विभागीय उपयोग में लेने का निर्णय लिया है।
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