इसरो-नासा का संयुक्त उपग्रह 'निसार' श्रीहरिकोटा से होगा प्रक्षेपित

खबर सार :-
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो और अमेरिका का नासा मिलकर एक नया विशेष उपग्रह प्रक्षेपित कर रहे हैं। इसका मकसद पृथ्वी की सतह की मॉनीटरिंग के तरीके में बदलाव लाना है। साथ ही प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण में हो रहे बदलावों पर कड़ी नजर रखना है। इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा।

इसरो-नासा का संयुक्त उपग्रह 'निसार' श्रीहरिकोटा से होगा प्रक्षेपित
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिका का नासा मिलकर एक नया विशेष उपग्रह निसार प्रक्षेपित करने जा रहे हैं। यह उपग्रह बुधवार शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। 1.5 अरब डॉलर के इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी की सतह की निगरानी के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण में हो रहे बदलावों पर कड़ी नज़र रखना है। निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) एक ऐतिहासिक परियोजना है। यह पहली ऐसी परियोजना है जिसमें पृथ्वी पर नज़र रखने के लिए दो अलग-अलग आवृत्ति वाले रडार, नासा के एल-बैंड और इसरो के एस-बैंड, का उपयोग किया जाएगा।

इन रडारों का संचालन नासा के 12 मीटर के एंटीना द्वारा किया जाएगा, जो इसरो के I-3K उपग्रह प्लेटफ़ॉर्म पर लगा है। 2,392 किलोग्राम वज़नी इस उपग्रह को भारत के GSLV-F16 रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा। उपग्रह को 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूर्य-समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा। वहां से यह हर 12 दिन में पृथ्वी की भूमि और बर्फ से ढके क्षेत्रों की 242 किलोमीटर चौड़ी पट्टी की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें लेगा। इसमें पहली बार स्वीपएसएआर तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि नासा और इसरो के संयुक्त रूप से विकसित पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को 30 जुलाई को भारत में निर्मित जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। नारायणन ने इस पर विशेष जोर दिया कि यह उपग्रह किसी भी मौसम या रोशनी में दिन और रात (24x7) तस्वीरें भेजा करेगा।

रविवार रात (27 जुलाई) चेन्नई हवाई अड्डे रविवार रात (27 जुलाई) चेन्नई हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए नारायणन ने कहा, "यह सभी मौसमों में 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है। यह भूस्खलन का पता लगा सकता है, आपदा प्रबंधन में मदद कर सकता है और जलवायु परिवर्तन की निगरानी कर सकता है।" इससे पहले रविवार को अंतरिक्ष विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "निसार मिशन में नासा और इसरो दोनों की तकनीकी विशेषज्ञता शामिल है। नासा ने एल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर), उच्च दर दूरसंचार प्रणाली, जीपीएस रिसीवर और 12 मीटर अनफोल्डिंग एंटीना प्रदान किया है, जबकि इसरो ने एस-बैंड एसएआर पेलोड, उपग्रह ले जाने वाला अंतरिक्ष यान, जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट और सभी संबंधित प्रक्षेपण सेवाएं प्रदान की हैं।"

अन्य प्रमुख खबरें