IAF Squadron Expansion : भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या में होगा इजाफा, ताकत में आएगा बड़ा उछाल

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IAF Squadron Expansion :  भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या में होगा इजाफा, ताकत में आएगा बड़ा उछाल
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IAF Squadron Expansion : : भारतीय वायुसेना (IAF) अपनी लड़ाकू क्षमता में बड़े पैमाने पर वृद्धि करने योजना बना रही है। सिर्फ लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाना ही लक्ष्य नहीं रह गया, विमानन तकनीक, सेंसर क्षमता और ऑपरेशनल रेंज को भी उन्नत करने पर जोर है। इस रणनीति से न सिर्फ स्क्वाड्रन की तादाद बढ़ेगी बल्कि पड़ोसी देशों के सामरिक समीकरण में भी बदलाव आएगा। वर्तमान में वायुसेना के स्क्वाड्रन घटकर लगभग 29 के आस‑पास रह गए हैं, मिग‑21 के सेवा से हटने के बाद यह रिकवरी का परिणाम है। रक्षा सूत्रों के अनौपचारिक दावों के मुताबिक IAF ने अपनी ताकत 30-35 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, अगर यह योजना लागू हुई तो स्क्वाड्रन की संख्या लगभग 54‑56 तक पहुँचने के आसार हैं। हर स्क्वाड्रन में आम तौर पर 18 से 20 आधुनिक लड़ाकू विमान होते हैं, ऐसे में कुल विमान संख्या 1,000 से ज्यादा होने की संभावना है। 

IAF Squadron Expansion : : संख्यात्मक विस्तार के साथ ही एयरफोर्स नए विमानों के मिश्रण पर भी कर रही काम

संख्यात्मक विस्तार के साथ ही एयरफोर्स नए विमानों के मिश्रण पर भी काम कर रही है। घरेलू निर्मित HAL‑तेजस की संख्या को और ज्यादा किया जा सकता है। HAL को तेजस Mk‑1A के बड़े ऑर्डर दिए जा चुके हैं और भविष्य में Mk‑2 की तैनाती पर भी ध्यान है। साथ ही पक्की बातों के बजाय कुछ पर पूर्वानुमान और सूत्रों की रिपोर्ट मिल रही है कि रूस SU‑57 जैसे पाँचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड लड़ाकू विमानों की खरीद पर बातचीत चल रही है। ऐसी खरीदी से IAF की रेड‑सेन्सिंग और स्टील्थ क्षमता में इजाफा होगा। सरकार की ओर से किसी भी बड़े सौदे की आधिकारिक घोषणा तक इस पर रोक‑टोक का हवाला देना जरूरी होगा।

IAF Squadron Expansion :  IAF की टेक्नोलॉजी होगी अपग्रेड

IAF की टेक्नोलॉजी अपग्रेड में केवल प्लेट‑फार्म जोड़ना ही शामिल नहीं, विमान में उन्नत रडार, इलेक्ट्रो‑ऑप्टिकल सेंसर्स, नेटवर्केड कमांड‑एन‑कंट्रोल और हथियार प्रणाली को भी मॉडर्नाइज़ किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, कुछ विदेशी और देशी प्रणालियाँ मिलाकर ‘लचीला टास्क‑सुइट’ विकसित किया जा रहा है ताकि अलग‑अलग मिशनों में वही विमान प्रभावी ढंग से काम कर सके। भारतीय वायुसेना अब अपने पुराने लक्ष्य को पीछे छोड़ते हुए स्क्वाड्रन की संख्या बढ़ाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। अब तक दो मोर्चों पर युद्ध लड़ने की रणनीति के तहत 42 स्क्वाड्रन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन हाल के ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस योजना में व्यापक बदलाव किया जा रहा है।

IAF Squadron Expansion : वायुसेना को और अधिक ताकतवर और आत्मनिर्भर बनाना प्राथमिकता

भारतीय रक्षा रणनीति में यह स्पष्ट हो गया है कि वायुसेना को और अधिक ताकतवर और आत्मनिर्भर बनाना अब प्राथमिकता है। तेजस Mk2 और स्वदेशी रूप से विकसित हो रहे पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) इस दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। ये विमान पूरी तरह भारत में विकसित किए जा रहे हैं और तकनीकी रूप से अत्याधुनिक होंगे। पड़ोसी देश पाकिस्तान, जो हाल ही में भारत के हाथों पराजय झेल चुका है, अब चींन के साथ मिलकर अपनी वायुसेना को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। इसी बीच भारत ने भी रूस के SU-57 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों में रुचि दिखाई है। यह विमान सेंसर टेक्नोलॉजी और सिग्नेचर मैनेजमेंट दोनों में अत्यधिक उन्नत है, जो राफेल जैसे विमानों से भी आगे माना जा रहा है।

SU-57 में लगा रडार सिस्टम दुश्मन की मौजूदगी को बेहद तेजी से पकड़ने में सक्षम है और इसका इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल वार्निंग सिस्टम मिसाइल हमलों से पूर्व चेतावनी देता है। इस प्रकार यह विमान वायुसेना की लड़ाकू क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। वर्तमान योजना के अनुसार, जैसे ही भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या 56 के पार पहुंचेगी, कुल लड़ाकू विमानों की संख्या 1,000 से अधिक हो जाएगी। यह न केवल पाकिस्तान और चीन के लिए रणनीतिक चुनौती बनकर उभरेगा, बल्कि भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति को भी अभूतपूर्व मजबूती देगा।

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