लखनऊः देश भर में धर्मांतरण का मुद्दा गरमाया हुआ है। धर्मांतरण के मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के खिलाफ जांच में नया मोड़ आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न केवल छांगुर को पांच दिन की रिमांड पर लिया है, बल्कि अब उसके अंतरराष्ट्रीय संपर्कों और कथित हवाला नेटवर्क की गहराई से जांच भी तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार, ईडी और खुफिया एजेंसियों को इस बात के पुख्ता सुराग मिले हैं कि छांगुर को दुबई, कतर, तुर्की और मलेशिया से विदेशी फंडिंग मिलती थी, जो धार्मिक संस्थानों और एनजीओ के माध्यम से भारत में धर्मांतरण के लिए प्रयोग की जाती थी।
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने सोमवार को छांगुर को अदालत में पेश किया और पूछताछ के लिए 7 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई के बाद छांगुर को 5 दिन की ईडी की कस्टडी में रखने को मंजूरी दी है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छांगुर पर गैरकानूनी धर्मांतरण, विदेशी धन के उपयोग और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों से संबंधित षड्यंत्र रचने का आरोप है। इसलिए ईडी के अधिकारी अब उन एनजीओ और ट्रस्ट की जांच में जुट गए हैं, जिनके जरिए छांगुर ने लाखों रुपये की विदेशी फंडिंग को सफेद धन की तरह इस्तेमाल किया। इन संस्थानों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन शुरुआती जांच में पता चला है कि इनकी शाखाएं दिल्ली, हैदराबाद, केरल और मुंबई में भी मौजूद हैं। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, हमारे पास कई बैंक ट्रांजेक्शन्स और डिजिटल कम्युनिकेशन के ऐसे साक्ष्य हैं, जो यह दर्शाते हैं कि छांगुर का नेटवर्क भारत में कई स्थानों पर सक्रिय था। वह धर्मांतरण को एक संगठित व्यापार की तरह संचालित कर रहा था। बता दें, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की लखनऊ शाखा ने पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत बलरामपुर, लखनऊ और मुंबई स्थित छांगुर और उनके करीबियों के 15 ठिकानों पर छापा मारा था।
छांगुर का गिरोह देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल था और देश भर में अवैध काम कर रहा था। इसमें कई लोग उसके साथ थे। छांगुर के कई राज सामने आ चुके हैं, लेकिन उसके संदिग्ध या प्रतिबंधित संगठनों से संबंध की जांच चल रही है। बताया जा रहा है कि उसने दुबई, सऊदी, और तुर्की जैसे देशों में अपने संपर्क बनाए थे। छांगुर की गिरफ्तारी और खुलासों के बाद राजनीतिक हलकों में भी खलबली मच गई है। विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है, जबकि सत्तारूढ़ दल ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताते हुए कार्रवाई को सही ठहराया है।
बलरामपुर प्रशासन ने अब 'माफिया मॉडल' अपनाते हुए छांगुर बाबा के करीबियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया है। उनके भतीजे सबरोज का घर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बना पाया गया, जिसे प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। इसके अलावा, लखनऊ और मुंबई में भी छापों के दौरान कई दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिनमें विदेशी फंडिंग, धर्मांतरण लक्ष्य, और संदिग्ध संगठनों के नामों की लिस्ट शामिल है।
जांच एजेंसियां अब उन ‘डार्क फाइनेंसरों’ की तलाश में हैं, जो पर्दे के पीछे रहकर इस नेटवर्क को आर्थिक मदद पहुंचाते रहे। यह भी आशंका जताई जा रही है कि इस फंडिंग का कुछ हिस्सा भारत विरोधी प्रचार और डिजिटल अभियान चलाने में इस्तेमाल हुआ है।
ईडी सूत्रों के अनुसार, छांगुर से पूछताछ में अभी कई अहम जानकारियां सामने आनी बाकी हैं, इसलिए संभव है कि उसकी रिमांड को आगे भी बढ़ाया जाए। वहीं, एनआईए और आईबी जैसी एजेंसियों ने भी अब मामले में रुचि दिखानी शुरू कर दी है।
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