अहमदाबादः गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को एयर इंडिया के विमान हादसे के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय सख्त हो गया है। विमान हादसे से जुड़ी घटनाओं को रोकने के लिए अहम फैसले लिए गए हैं। जिसके तहत केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट्स के आसपास ऊंची इमारतों या किसी भी अन्य स्ट्रक्चर्स के कारण होने वाली दुर्घटना को रोकने के मकसद से नई गाइड लाइन जारी की गई है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान की भीषण दुर्घटना के बाद महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसका उद्देश्य विमान सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करने वाली भौतिक संरचनाओं पर नियंत्रण को और अधिक पुख्ता करना है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय विमान (भवनों और वृक्षों आदि के कारण उत्पन्न अवरोधों का विध्वंस) नियम, 2025 जारी किया है, जो आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से लागू होगा। ये नियम अधिकारियों को नामित हवाई क्षेत्रों में स्वीकृत ऊंचाई सीमा से अधिक ऊंची इमारतों, पेड़ों और अन्य संरचनाओं के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई के लिए सशक्त बनाने के लिए बनाए गए हैं। इस पहल को विमान सुरक्षा बढ़ाने तथा विमान उड़ान पथ में अवरोधों के कारण भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सक्रिय कदम के रूप में देखा जा रहा है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने तय किया है कि प्रस्तावित नियमों के तहत अधिसूचित हवाई अड्डों के आसपास स्वीकृत ऊंचाई से अधिक संरचना को प्रभारी अधिकारी द्वारा नोटिस दिया जाएगा। संपत्ति मालिकों को नोटिस प्राप्त करने के 60 दिनों के भीतर साइट प्लान, स्वामित्व दस्तावेज और संरचनात्मक आयामों सहित प्रमुख विवरण प्रस्तुत करना होगा। नियमों का अनुपालन नहीं करने पर प्रवर्तन संबंधी कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें संरचना को ध्वस्त करना या उसे काट-छांटना शामिल है। यदि नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) या कोई अधिकृत अधिकारी यह निर्धारित करता है कि संबंधित संरचना से उल्लंघन हो रहा है, तो ऊंचाई कम करने या ध्वस्त करने के लिए औपचारिक आदेश जारी किया जा सकता है।
संपत्ति मालिकों को निर्देशों का अनुपालन के लिए 60 दिन तक का समय दिया जाएगा। इसमें गाइडलाइंस का पालन करवाने वाले अधिकारियों को संपत्ति के मालिक को सूचित करने के बाद दिन के समय में भौतिक साइट निरीक्षण करने का अधिकार भी दिया गया है। यदि मालिक सहयोग करने से इनकार करता है, तो अधिकारी उपलब्ध जानकारी के आधार पर आगे बढ़ सकते हैं और मामले को डीजीसीए तक बढ़ा सकते हैं। इस कदम को फ्लाइट के टेक ऑफ और लैंडिंग को किसी भी तरह की भौतिक बाधाओं से दूर रखने के सक्रिय पहल के रूप में देखा जा रहा है।
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