Dalai Lama: तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा 6 जुलाई को 90 साल के हो जाएंगे। उनकी उम्र के कारण उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं जोरों पर। फिलहाल 14वें दलाई लामा हैं जो 15वें दलाई लामा को अपना बारिस चुनेंगे। दरअसल दलाई लामा के चयन की यह परंपरा करीब 600 सालों से चली आ रही है। 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने अपने वारिस को लेकर चौंकाने वाला दिया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने साफ किया है कि उत्तराधिकारी का चयन तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार ही किया जाएगा। इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं होगी। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को घोषणा की कि दलाई लामा की संस्था उनके निधन के बाद भी चलती रहेगी। साथ ही उन्होंने स्पेष्ट कर दिया है कि उनके उत्तराधिकारी के चयन की जिम्मेदारी गादेन फोडरंग ट्रस्ट होगी। उन्होंने यह भी कहा कि दलाई लामा (Dalai Lama) संस्था भविष्य में भी चलती रहेगी। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट को ही उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार होगा। किसी अन्य व्यक्ति या समूह को इसमें हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा, जो 6 जुलाई को 90 वर्ष के होने जा रहे हैं, ने धर्मशाला के मैक्लोडगंज में एक बौद्ध सम्मेलन के दौरान यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि 1969 में उन्होंने कहा था कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रखने का निर्णय तिब्बती लोगों और संबंधित समुदायों द्वारा लिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 90 वर्ष की आयु के आसपास वे तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं, तिब्बती जनता और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के साथ इस पर चर्चा करेंगे।
दलाई लामा ने कहा पिछले 14 वर्षों में तिब्बती आध्यात्मिक नेताओं, निर्वासित तिब्बती संसद, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, गैर-सरकारी संगठनों, हिमालयी क्षेत्र, मंगोलिया, रूस और चीन के बौद्ध गणराज्यों के बौद्धों ने उन्हें दलाई लामा की संस्था को जारी रखने की मांग करते हुए पत्र लिखे। खासकर तिब्बत में रहने वाले लोगों ने भी विभिन्न माध्यमों से यही अपील की। इन सभी अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए दलाई लामा ने पुष्टि की कि उनकी संस्था भविष्य में भी जारी रहेगी।
दलाई लामा ने कहा कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं और शपथ लेने वाले धर्म रक्षकों के परामर्श से की जाएगी। यह प्रक्रिया तिब्बती परंपरा की तरह ही दर्शन, संकेत और आध्यात्मिक अनुष्ठानों पर आधारित होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि दलाई लामा का पुनर्जन्म नियुक्त नहीं होता, बल्कि एक पवित्र प्रक्रिया के माध्यम से इसे मान्यता दी जाती है। इस प्रक्रिया में केवल दलाई लामा ही अपने उत्तराधिकारी की पहचान कर सकते हैं।
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