नई दिल्ली: लोकसभा में मानसून सत्र चल रहा है। यहां 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा चल रही है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बहस तो की, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले जैसे संवेदनशील मामले पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया। प्रियंका गांधी ने हमले के दौरान मारे गए नागरिकों के परिवारों के प्रति सरकार की लापरवाही और सुरक्षा नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए।
प्रियंका ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा पर विस्तार से बात की, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि पहलगाम में हमला कैसे और क्यों हुआ? क्या यह हमला एक सुरक्षा चूक थी? इस हमले की जिम्मेदारी किसकी है? प्रियंका गांधी ने इस पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि अगर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी रक्षा मंत्री और गृह मंत्री की है, तो यह हमला कैसे हुआ?
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में यूपी के बलिदानी शुभम द्विवेदी की पत्नी का जिक्र करते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार ने इन परिवारों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया। इन परिवारों को सुरक्षा देने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस हमले की कोई खुफिया जानकारी पहले से नहीं थी, जो कि सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी विफलता मानी जा सकती है। प्रियंका ने इसे सुरक्षा चूक करार दिया और सरकार से यह सवाल किया कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं? प्रियंका गांधी ने कड़ी शब्दों में कहा कि आप लोग इतिहास की बातें करते हैं, लेकिन मैं वर्तमान की बात कर रही हूं। आप 11 वर्षों से सत्ता में हैं, फिर भी आतंकी हमले हो रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब गौरव गोगोई ने सरकार से जिम्मेदारी तय करने की बात की तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गंभीर दिखे, जबकि गृह मंत्री अमित शाह मुस्कराते हुए नजर आए।
प्रियंका गांधी ने सदन में 26 मृतकों के नाम पढ़ने का प्रस्ताव रखा, जिनमें से 25 भारतीय थे। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम उन बलिदानियों को याद करें, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। उनका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था, वे हमारे देश के बेटे थे। उनके परिवारों को सच्चाई जानने का हक है। प्रियंका ने सभी सांसदों से अपील की कि वे पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और सुनिश्चित करें कि सरकार उन परिवारों को न्याय दिलाए। उनका यह भी कहना था कि सरकार को यह स्वीकार करना चाहिए कि यह हमला सुरक्षा विफलता और प्रशासनिक चूक का परिणाम था।
प्रियंका गांधी ने कूटनीतिक मुद्दों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर 'ऑपरेशन सिंदूर' का उद्देश्य आतंकवाद को समाप्त करना था, तो फिर पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति का अध्यक्ष कैसे बना दिया गया? उन्होंने इसे सरकार की कूटनीतिक विफलता करार दिया और पूछा, यह किसकी नाकामी है? प्रियंका गांधी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी हमेशा देश की सुरक्षा के साथ खड़ी रहेगी, लेकिन सरकार से सवाल उठाना उनका अधिकार है। यह भी कहा कि हमने मुम्बई हमले, उरी, और पुलवामा हमलों में देश के साथ खड़े हो कर मुकाबला किया है, लेकिन इस बार हमें जवाब चाहिए।
प्रियंका गांधी की यह बयानबाजी सरकार के लिए चुनौती बन सकती है। लोकसभा में उनके कड़े रुख ने साफ तौर पर सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। यह मुद्दा न केवल लोकसभा में बल्कि आने वाले दिनों में राजनीतिक विमर्श में भी गूंज सकता है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या वह अपनी सुरक्षा नीतियों और कूटनीतिक रणनीतियों में बदलाव करती है।
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