CJI पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर बोले, यह मेरी प्रतिक्रिया थी, मुझे कोई पछतावा नहीं

खबर सार :-
CJI पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर ने कहा कि यह उनकी प्रतिक्रिया थी और उन्हें अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने न्यायपालिका पर भेदभाव और धार्मिक मामलों में पक्षपात का आरोप लगाया। राकेश ने माफी मांगने से इनकार करते हुए, अपने कदम को भावनात्मक प्रतिक्रिया बताया।

CJI पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर बोले, यह मेरी प्रतिक्रिया थी, मुझे कोई पछतावा नहीं
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई की ओर जूता फेंकने वाले वकील डॉ. राकेश किशोर ने अपने विवादित कृत्य पर बयान दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने जो किया, वह एक भावनात्मक प्रतिक्रिया थी और उन्हें अपने इस कदम पर कोई पछतावा नहीं है। राकेश किशोर ने कहा कि उनका विरोध व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम नहीं था, बल्कि न्यायपालिका की उस टिप्पणी पर था, जो अपमानजनक और आस्था को ठेस पहुंचाने वाली थी। उन्होंने कहा कि एक याचिकाकर्ता द्वारा दायर पीआईएल को खारिज करते समय मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणी उन्हें बहुत आहत कर गई थी।

एक्शन के जवाब में मेरा रिएक्शन थाः राकेश किशोर

राकेश किशोर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सीजेआई ने एक बेहद संवेदनशील मुद्दे पर मजाक किया। अगर वे केवल याचिका को खारिज करते, तो कोई बात नहीं थी, लेकिन धार्मिक भावना से जुड़ी बात का मजाक उड़ाना अस्वीकार्य है। उन्होंने जो एक्शन लिया, उस पर मेरा यह रिएक्शन था। न तो मुझे कोई डर है और न ही मुझे इसके लिए किसी प्रकार का अफसोस। उन्होंने खुद को अहिंसक और कानून का पालन करने वाला व्यक्ति बताया और दावा किया कि उनके खिलाफ पहले कभी कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ।

सीजेआई पर भेदभाव के आरोप

डॉ. किशोर ने आरोप लगाया कि न्यायपालिका कुछ मामलों में धार्मिक भेदभाव बरतती है। उन्होंने हल्द्वानी भूमि अतिक्रमण और नूपुर शर्मा प्रकरण का उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ मामलों में तत्काल रोक लगा दी जाती है, जबकि सनातन धर्म से जुड़े मुद्दों पर संवेदनशीलता नहीं दिखाई जा रही। डॉ. किशोर ने यह भी कहा कि सीजेआई गवई अब दलित नहीं हैं क्योंकि उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया है। उन्होंने कहा, अगर वे खुद को सनातन धर्म से अलग मानते हैं, तो फिर वे अब दलित कैसे? यह मानसिकता की बात है।

माफी से इनकार, संविधान की गरिमा पर सवाल

राकेश किशोर का यह भी कहना है कि वे माफी नहीं मांगेंगे और उनके अनुसार, उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया। उन्होंने यह कहते हुए सवाल उठाया कि जब मुख्य न्यायाधीश मॉरीशस जाकर कहते हैं कि देश बुलडोजर से नहीं चलेगा, तो क्या उत्तर प्रदेश में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई अनुचित मानी जाएगी? उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को अपनी संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि लाखों मामले वर्षों से लंबित पड़े हैं।
 

अन्य प्रमुख खबरें