नई दिल्ली / लखनऊ : बड़े शहरों का पुराना स्वरूप वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने अर्बन चैलेंज फंड योजना शुरू की है। इस फंड से बड़े शहरों के व्यापारिक और ऐतिहासिक स्वरूप को वापस लाया जाएगा। इस वर्ष पेश किए गए केंद्रीय बजट में शहरों की दशा सुधारने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के अर्बन चैलेंज फंड की घोषणा की गई थी। इस योजना के जरिए राज्यों को राजधानी के साथ एक अन्य शहर के बुनियादी ढ़ांचे को दुरूस्त करने का मौका मिलेगा।
वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक, इस योजना के तहत राज्य अपनी राजधानी के साथ एक अन्य शहर को चिन्हित कर सकेंगे। दरअसल, समय के साथ अधिकांश शहरों का बीच वाला भाग यानि उसके मूल स्वरूप की दशा जनसंख्या के दबाव के चलते खराब हो गई है। इस हिस्से की सड़क, सीवर और फुटपाथ की दशा इतनी ज्यादा खराब हो चुकी है कि उसे सुधारना बहुत मुश्किल है। शहर की इस स्थिति में सुधार के लिए ही यह योजना शुरू की गई है।
योजना का क्रियान्वयन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके तहत राज्यों की राजधानी और बड़े व्यापारिक शहरों के केंद्रीय व्यापारिक व ऐतिहासिक स्वरूप को पुनर्जीवित किया जाएगा। अर्बन चैलेंज फंड के तहत केंद्र सरकार प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी। योजना के तहत चयनित प्रत्येक शहर को अधिकतम 150 करोड़ रुपए की सहायता केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि यह बजट फोकस लीगेसी इन्फ्रास्ट्रक्चर यानि पुराने बुनियादी ढ़ांचे के हालात सुधारने पर ही खर्च किया जाना चाहिए।
अर्बन चैलेंज फंड योजना में किन क्षेत्रों में सुधार किया जाना है, इसका निर्धारण किया गया है। इसके तहत व्यवसायिक क्षेत्र के लिए परिवहन की व्यवस्था, सड़क के किनारे पार्किंग की व्यवस्था, व्यापारिक गतिविधियों के लिए अलग जगह का निर्धारण, सड़क-सीवर के ढ़ांचे में सुधार, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम और पदैल यात्रियों के लिए फुटपाथ की व्यवस्था शामिल है। प्रदेश सरकारों को सुधारीकरण प्रस्ताव के तहत एक अधिकारी और टीम का चयन कर जिम्मेदारी भी तय करनी होगी।
योजना के तहत केंद्र सरकार ने राज्यों से यह भी कहा है कि शहरों की ऐसी सरकारी जमीन व ढ़ांचों को भी चिन्हित करें, जिसका पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसके जरिए राज्य सार्वजनिक उपयोग के लिए अतिरिक्त भूमि भी जुटा सकेंगे। पुराने और बड़े शहरों के बीच ऐसी कई सरकारी सम्पत्तियां हैं जो किसी सरकारी ऑफिस अथवा सार्वजनिक जगह से सम्बंधित हैं। ऐसे स्थानों पर काफी जमीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। इससे इन जमीनों का भी उपयोग हो सकेगा।
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