Akhlaq Lynching Case : यूपी सरकार को बड़ा झटका, केस वापस लेने की अर्जी खारिज

खबर सार :-
Akhlaq Lynching Case : उत्तर प्रदेश के दादरी में हुए अख़लाक़ लिंचिंग मामले में यूपी सरकार की केस वापस लेने की अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया। यह फैसले से सरकार को बड़ा झटका लगा है, और अब मामले की रोज़ाना सुनवाई होगी।

Akhlaq Lynching Case : यूपी सरकार को बड़ा झटका, केस वापस लेने की अर्जी खारिज
खबर विस्तार : -

Akhlaq Lynching Case :  दादरी (Dadri) के बिसाहड़ा गांव में 2015 में हुए मोहम्मद अख़लाक़ (Mohammed Akhlaq) लिंचिंग मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को मंगलवार को बड़ा झटका लगा। सूरजपुर कोर्ट (Surajpur Court) ने सरकार की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें आरोपियों के खिलाफ चल रहे मुकदमे को वापस लेने की मांग की गई थी। अदालत ने इसे बेबुनियाद और व्यर्थ बताते हुए ना केवल अर्जी को ठुकरा दिया, बल्कि मामले की सुनवाई को तेज करने का आदेश भी दिया। अब इस केस की सुनवाई सबसे महत्वपूर्ण श्रेणी में रखी जाएगी, और रोज़ाना सुनवाई होगी।

Akhlaq Lynching Case : जाने पूरा मामला

यह घटना 28 सितंबर 2015 की है, जब दादरी के बिसाहड़ा गांव (Bishara village) में एक उग्र भीड़ ने मोहम्मद अख़लाक़ (50) को गोमांस खाने और घर में गोमांस रखने के आरोप में बर्बर तरीके से पीट-पीटकर मार डाला। घटना के समय अख़लाक़ के बेटे दानिश को भी बुरी तरह से पीटा गया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस घटना ने देशभर में गोमांस पर बहस और लिंचिंग जैसी हिंसा को लेकर बड़े विवाद को जन्म दिया। पुलिस ने अख़लाक़ की पत्नी इकरामन के शिकायत पर हत्या, हत्या की कोशिश, दंगा और अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी, जिसके बाद 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से तीन आरोपी नाबालिग थे, जबकि एक आरोपी की 2016 में मौत हो गई थी। बाकी आरोपी जमानत पर बाहर हैं और मामले की सुनवाई अभी भी जारी है। दिसंबर 2015 में चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें 15 लोगों के नाम थे।

Akhlaq Lynching Case : सरकार की अर्जी और कोर्ट का फैसला

हाल ही में, अक्टूबर 2023 में यूपी सरकार ने कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी, जिसमें आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की मांग की गई थी। सरकार का कहना था कि गवाहों के बयानों में विरोधाभास हैं, आरोपियों से कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी और केस वापस लेने से गांव में सामाजिक सद्भाव बढ़ेगा। दिलचस्प बात यह है कि यह वही तर्क थे, जो 2017 में आरोपियों को जमानत दिलाने के लिए इस्तेमाल किए गए थे। लेकिन कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज करते हुए मामले की सुनवाई को तेज करने का आदेश दिया और पुलिस को गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाहों के बयान रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए।

Akhlaq Lynching Case : हाईकोर्ट में चुनौती और परिवार का विरोध

अख़लाक़ की पत्नी इकरामन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में भी याचिका दायर की है, जिसमें सरकार के फैसले और अर्जी को संविधान के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह निर्णय कार्यकारी शक्ति का दुरुपयोग है। इसके अलावा, ट्रायल कोर्ट में भी परिवार ने सरकार की अर्जी के खिलाफ आपत्ति दर्ज की थी। परिवार का कहना है कि यदि इस केस को वापस लिया गया तो यह भीड़ हिंसा को बढ़ावा देगा और न्याय की हार होगी।

Akhlaq Lynching Case : राजनीति और समाजिक प्रतिक्रिया

इस फैसले के बाद, सीपीआई(एम) नेता बृंदा करात ने सरकार के खिलाफ बयान दिया और कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने इसे 'अख़लाक़ मामले में न्याय की दिशा में बड़ा कदम' बताया। करात ने कहा कि यह फैसला उत्तर प्रदेश सरकार के चेहरे पर एक तमाचा है, जिसने पहले इस मामले में न्याय की प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश की थी। यह मामला अब भी सुर्खियों में है और न्याय की प्रतीक्षा कर रहे परिवार के लिए यह कोर्ट का फैसला एक राहत की खबर के रूप में आया है। हालांकि, हाईकोर्ट में इस मामले पर आगे की सुनवाई होनी बाकी है। इस मामले के दस साल बाद भी न्याय की लड़ाई जारी है और इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार का दखल इस मामले में उचित नहीं था। अब यह देखना होगा कि आगे की सुनवाई किस दिशा में जाती है।

अन्य प्रमुख खबरें