Akhilesh Yadav Vande Mataram Debate : लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ (Vande Mataram) की 150वीं वर्षगांठ पर हुई चर्चा ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सियासत का तापमान अचानक बढ़ा दिया। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस बहस में हिस्सा लेते हुए ऐसा बयान दिया, जिसने सियासी गलियारों में नई सुगबुगाहट शुरू कर दी है। सवाल उठ रहा है, क्या उनके बयान से बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) खिल उठेंगी या नाराज़ होंगी?
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बिना नाम लिए बीजेपी (BJP) और आरएसएस (RSS) पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वर्तमान सत्ताधारी दल ऐसे महापुरुषों को भी अपना बताने की कोशिश करता है, जिनकी विचारधारा और संघर्ष से उनका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं रहा। अखिलेश ने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग हर चीज़ को ‘ओन’ (अपनाना) करना चाहते हैं। जो महापुरुष उनके नहीं हैं, उन्हें भी अपना बताने में लगे हैं।
बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) को लेकर अखिलेश का बयान सबसे ज्यादा चर्चित रहा। उन्होंने दावा किया कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर (Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) को लेकर बीजेपी का ‘सम्मान’ राजनीतिक मजबूरी के कारण शुरू हुआ। उन्होंने कहा, “इनके मंचों पर कभी बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीरें नहीं दिखती थीं। लेकिन जिस दिन यूपी में सपा और बसपा ने मिलकर इन्हें चुनाव में हराया, उसी दिन से बीजेपी ने हर सभा और हर दफ्तर में बाबा साहेब की तस्वीरें लगानी शुरू कर दीं।” सियासी पंडितों का मानना है कि यह बयान मायावती और दलित वोट बैंक को संदेश देने की रणनीति भी हो सकता है।
अखिलेश यादव ने वंदे मातरम् को लेकर भी तीखे शब्दों में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में यह गीत लोगों को जोड़ने और अत्याचार के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक था, मगर आज इसे राजनीतिक हथियार बनाया जा रहा है।
अखिलेश बोले कि वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन में सबको एक किया। लेकिन आज के दरारवादी लोग इसी गीत के बहाने देश को बांट रहे हैं। जिन लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया, उन्हें इस गीत का महत्व समझ ही नहीं सकता। उन्होंने आगे कहा कि यह राष्ट्रवादी नहीं, राष्ट्र-विवादी सोच है। यूपी की राजनीति का ज़िक्र करते हुए अखिलेश ने दावा किया कि राज्य के मतदाताओं ने सांप्रदायिक राजनीति को ध्वस्त किया है। उनके अनुसार, “कम्युनल पॉलिटिक्स जहां से शुरू हुई थी, यूपी के लोगों ने उसे वहीं खत्म कर दिया है।” अखिलेश के इस बयान ने भाजपा के साथ-साथ बसपा खेमे में भी हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि उनका यह भाषण 2027 यूपी विधानसभा चुनाव की रणनीति की झलक भी देता है।
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