गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को यूएस में नहीं मिलेगी एंट्री, ट्रंप सरकार ने बदले वीजा के नियम

खबर सार :-
अमेरिका की नई वीजा नीति गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। अब हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर और मेंटल हेल्थ जैसी स्थितियों वाले आवेदकों को अमेरिका में प्रवेश से रोका जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला मानवीय दृष्टिकोण से अनुचित है और कई लोगों के लिए अवसरों के द्वार बंद कर सकता है।

गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को यूएस में नहीं मिलेगी एंट्री, ट्रंप सरकार ने बदले वीजा के नियम
खबर विस्तार : -

US VISA Policy 2025:  अब अमेरिका जाने की चाह रखने वाले गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह खबर चिंता बढ़ाने वाली है। अमेरिकी सरकार ने वीजा संबंधी नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर, मोटापा और मेंटल हेल्थ जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को वीजा देने से मना किया जा सकता है।

नई नीति के तहत सख्त जांच प्रक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति प्रशासन ने हाल ही में जारी एक निर्देश में स्पष्ट किया है कि वीजा आवेदन करने वाले विदेशी नागरिकों की स्वास्थ्य स्थिति का गहन मूल्यांकन किया जाएगा। अगर किसी व्यक्ति में ऐसी मेडिकल कंडीशन पाई जाती है, जिससे अमेरिकी संसाधनों पर बोझ बढ़ने की संभावना हो, तो उसे वीजा देने से रोका जा सकता है। यह नीति न केवल पर्यटक वीजा बल्कि स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) आवेदनों पर भी लागू होगी।

अमेरिकी संसाधनों पर ‘बोझ’ को लेकर चिंता

अमेरिकी हेल्थ न्यूज संगठन KFF हेल्थ न्यूज के मुताबिक, नीति निर्माताओं का मानना है कि इन बीमारियों से ग्रस्त लोग इलाज और मेडिकल सुविधाओं के कारण अमेरिकी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी बोझ डाल सकते हैं। यही वजह है कि अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को केबल के जरिए नया दिशानिर्देश भेजा गया है। पहले भी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली जाती थी, लेकिन अब जांच प्रक्रिया को और सख्त कर दिया गया है।

वीजा अधिकारियों को मिली नई जिम्मेदारी

रिपोर्ट्स के अनुसार, अब वीजा अधिकारी आवेदक के इलाज के खर्च की क्षमता का भी मूल्यांकन करेंगे। उन्हें यह जांचने के निर्देश दिए गए हैं कि वीजा मांगने वाला व्यक्ति अपने मेडिकल खर्च खुद उठा सकता है या नहीं। इसके साथ ही उसके परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य स्थिति की जानकारी भी मांगी जाएगी।

कानूनी विशेषज्ञों ने जताई आपत्ति

कैथोलिक लीगल इमिग्रेशन नेटवर्क के वरिष्ठ वकील चार्ल्स व्हीलर ने इस नीति को लेकर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि वीजा अधिकारी मेडिकल क्षेत्र के विशेषज्ञ नहीं होते और वे अपने सीमित ज्ञान के आधार पर आवेदक की स्वास्थ्य स्थिति का गलत आकलन कर सकते हैं। इससे कई योग्य आवेदक अनुचित रूप से वंचित हो सकते हैं।

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