US China Relations : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चीन के प्रति रुख अब नरम होता दिख रहा है। उन्होंने चीन पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगाने का ऐलान किया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव कम होने की उम्मीद है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ट्रंप ने अप्रैल में चीन पर भारी शुल्क लगाया था। यह रियायत नवंबर तक जारी रहेगी।
मंगलवार (12 अगस्त, 2025) को अमेरिका और चीन ने एक संयुक्त बयान जारी करके यह घोषणा की कि दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ पर रोक को 90 दिनों के लिए और बढ़ाया जा रहा है। ट्रंप ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'TRUTH' पर एक पोस्ट के माध्यम से इस फैसले की पुष्टि की। उन्होंने लिखा, "मैंने अभी एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद चीन पर टैरिफ निलंबन अगले 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया जाएगा। समझौते से जुड़ी अन्य सभी बातें यथावत रहेंगी।" चीन ने भी अमेरिका के इस कदम पर अपनी खुशी जाहिर की है।
ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला लंदन और स्टॉकहोम में हुई दोनों देशों के बीच व्यापारिक बैठकों के दौरान लिया गया। फिलहाल अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 30 प्रतिशत का टैरिफ लगाया हुआ है। हालांकि, अप्रैल में अमेरिका ने चीन पर 245 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने की धमकी दी थी और चीन ने जवाबी कार्रवाई में 125 प्रतिशत का टैरिफ लगाने की बात कही थी। इस फैसले के बाद अब चीन से अमेरिका जाने वाले सामानों पर सिर्फ 30 प्रतिशत टैरिफ ही लागू होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के व्यापारिक संबंध धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। इससे वैश्विक बाजारों को स्थिरता मिलेगी और वैश्विक व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी सकारात्मक माहौल बनेगा। अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स वॉल स्ट्रीट जर्नल और सीएनबीसी ने भी इस खबर की पुष्टि की और बताया कि ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तारीफ करते हुए कहा कि उनके साथ उनके अच्छे संबंध हैं और चीन बहुत अच्छा व्यवहार कर रहा है।
दूसरी ओर, ट्रंप प्रशासन ने भारत के लिए एक कड़ा रुख अपनाया है। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसमें 25 प्रतिशत का टैरिफ और बाकी 25 प्रतिशत रूस से तेल खरीदने पर लगाए गए जुर्माने के रूप में है। ट्रंप को भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर आपत्ति है, लेकिन उन्होंने चीन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया है, जबकि चीन भी रूसी तेल का एक बड़ा खरीदार है। जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से इस विरोधाभास के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि ट्रंप इस मामले पर विचार कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
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