Taslima Nasreen : प्रसिद्ध बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने अपने गृह देश बांग्लादेश में बढ़ती कट्टरता और हिंसक प्रवृत्तियों पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी हालिया पोस्ट में कहा कि उनका देश जिहादी विचारधारा के चंगुल में फंस चुका है। उन्हें नहीं पता कि इससे बांग्लादेश को मुक्ति कब मिलेगी। लेखिका ने इस बात पर भी निराशा जाहिर की कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान, जो प्रेम और भाईचारे की बात करता है, आज जिहादी मानसिकता वाले लोगों की नफरत का शिकार हो रहा है।
शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव देखने को मिल रहा है। इसी बीच, 6 दिसंबर 2024 को प्रसिद्ध बांग्लादेशी लेखिका Taslima Nasreen ने अपने देश के साथ भारत और पाक से बदलते रिश्तों की तीखी आलोचना की थी।
अपने एक और लेख में नसरीन ने स्पष्ट किया कि उन्हें किसी की फाँसी की खबर से ख़ुशी नहीं होती। वे कहती हैं कि उनकी ख़ुशी का आधार कहीं और है। उन्हें तब खुशी होती है जब धर्म और राज्य अलग-अलग होते हैं, जब धार्मिक राजनीति को महत्व नहीं दिया जाता, और जब धार्मिक कानूनों की जगह नागरिक कानून प्रभावी होते हैं।
इसके अलावा, वह सच्चे लोकतंत्र की स्थापना, महिलाओं के समान अधिकारों, धर्मनिरपेक्ष संस्थानों के विकास, और मानवाधिकारों के सम्मान को भी खुशी का कारण मानती हैं। Taslima Nasreen के लिए खुशी तब होती है जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुरक्षित हो, आतंकवाद, बलात्कार और हत्याएं समाप्त हों, और जब लोग मानवतावादी बनकर एक-दूसरे से प्रेम करें।
तसलीमा नसरीन ने यह भी बताया कि कैसे जिहादी तत्वों को प्रेम और शांति से भरे राष्ट्रगान से घृणा है क्योंकि इसके रचयिता और संगीतकार गैर-मुस्लिम थे। नसरीन ने अपनी एक और पोस्ट में धर्म और राज्य के अलगाव, मानवाधिकारों के सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ही एक बेहतर समाज की पहचान बताया।
इसके अलावा, Taslima Nasreen ने बांग्लादेश की भारत के प्रति बदलते रुख की भी कड़ी निंदा की है। उन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम का जिक्र करते हुए कहा कि जिस भारत ने लाखों सैनिकों की जान देकर और शरणार्थियों को पनाह दी और बांग्लादेश को आजादी दिलाई, अब उसे दुश्मन समझा जा रहा है। वहीं, 1971 में लाखों लोगों की हत्या और बलात्कार करने वाले वाले मुल्क पाक को मित्र राष्ट्र की श्रेणी में रखा जा रहा है। उन्होंने अपने देश की बदलती हुई राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर चिंता जाहिर की। खासकर तब जब बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरें भी सामने आई हैं।
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