जिहादियों के शिकंजे में बांग्लादेशः Taslima Nasreen ने देश के हालातों पर जताया गहरा दुख

खबर सार :-
Taslima Nasreen : बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने अपने देश में बढ़ती जिहादी मानसिकता पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि उनका देश नफरत के शिकंजे में है, जहाँ राष्ट्रगान और भारत जैसे सच्चे मित्र को भी दुश्मन समझा जा रहा है। उन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम की याद दिलाते हुए भारत के योगदान को सराहा और पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकी की आलोचना की है।

जिहादियों के शिकंजे में बांग्लादेशः Taslima Nasreen ने देश के हालातों पर जताया गहरा दुख
खबर विस्तार : -

Taslima Nasreen  : प्रसिद्ध बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने अपने गृह देश बांग्लादेश में बढ़ती कट्टरता और हिंसक प्रवृत्तियों पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी हालिया पोस्ट में कहा कि उनका देश जिहादी विचारधारा के चंगुल में फंस चुका है। उन्हें नहीं पता कि इससे बांग्लादेश को मुक्ति कब मिलेगी। लेखिका ने इस बात पर भी निराशा जाहिर की कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान, जो प्रेम और भाईचारे की बात करता है, आज जिहादी मानसिकता वाले लोगों की नफरत का शिकार हो रहा है। 

भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव

शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव देखने को मिल रहा है। इसी बीच, 6 दिसंबर 2024 को प्रसिद्ध बांग्लादेशी लेखिका Taslima Nasreen  ने अपने देश के साथ भारत और पाक से बदलते रिश्तों की तीखी आलोचना की थी।
अपने एक और लेख में नसरीन ने स्पष्ट किया कि उन्हें किसी की फाँसी की खबर से ख़ुशी नहीं होती। वे कहती हैं कि उनकी ख़ुशी का आधार कहीं और है। उन्हें तब खुशी होती है जब धर्म और राज्य अलग-अलग होते हैं, जब धार्मिक राजनीति को महत्व नहीं दिया जाता, और जब धार्मिक कानूनों की जगह नागरिक कानून प्रभावी होते हैं।

जिहादी तत्वों को प्रेम और शांति से भरे राष्ट्रगान से घृणा : नसरीन

इसके अलावा, वह सच्चे लोकतंत्र की स्थापना, महिलाओं के समान अधिकारों, धर्मनिरपेक्ष संस्थानों के विकास, और मानवाधिकारों के सम्मान को भी खुशी का कारण मानती हैं। Taslima Nasreen  के लिए खुशी तब होती है जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुरक्षित हो, आतंकवाद, बलात्कार और हत्याएं समाप्त हों, और जब लोग मानवतावादी बनकर एक-दूसरे से प्रेम करें।
तसलीमा नसरीन ने यह भी बताया कि कैसे जिहादी तत्वों को प्रेम और शांति से भरे राष्ट्रगान से घृणा है क्योंकि इसके रचयिता और संगीतकार गैर-मुस्लिम थे। नसरीन ने अपनी एक और पोस्ट में धर्म और राज्य के अलगाव, मानवाधिकारों के सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ही एक बेहतर समाज की पहचान बताया।

बांग्लादेश की भारत के प्रति बदलते रुख की कड़ी निंदा

इसके अलावा, Taslima Nasreen  ने बांग्लादेश की भारत के प्रति बदलते रुख की भी कड़ी निंदा की है। उन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम का जिक्र करते हुए कहा कि जिस भारत ने लाखों सैनिकों की जान देकर और शरणार्थियों को पनाह दी और बांग्लादेश को आजादी दिलाई, अब उसे दुश्मन समझा जा रहा है। वहीं, 1971 में लाखों लोगों की हत्या और बलात्कार करने वाले वाले मुल्क पाक को मित्र राष्ट्र की श्रेणी में रखा जा रहा है। उन्होंने अपने देश की बदलती हुई राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर चिंता जाहिर की। खासकर तब जब बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से अल्पसंख्यकों पर हमले की खबरें भी सामने आई हैं।

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