ईरान और इज़राइल के बीच जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा वैसे-वैसे वैश्विक स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति को गंभीर खतरा होता जा रहा है। ईरान ने जैसे ही होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की चेतावनी दी सिर्फ मध्य-पूर्व की सियासत में ही हलचल देखने को नहीं मिली बल्कि भारत जैसे तेल-निर्भर देशों की पेशानी पर भी बल पड़ गए। ऐसा माना जाता है कि यह क्षेत्र विश्व ऊर्जा आपूर्ति की नाड़ी है, और यहां कोई भी अस्थिरता पूरी दुनिया के लिए संकट बन सकती है।
Strait of Hormuz कुल कच्चे तेल का लगभग 20 प्रतिशत परिवहन करता फारस की खाड़ी से होकर गुजरने वाला यह संकरा समुद्री रास्ता है। यह संकरा रास्ता कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से होता है कि सऊदी अरब, इराक और कुवैत से जो तेल खरीदता है, वह अधिकतर इसी जलमार्ग गुजता है। ऐसे में यदि ईरान अपने बयान को अमल में लाता है और इस जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित हो सकती है।
ईरानी सांसद इस्माइल कोसरी का कहना है कि ईरान रणनीतिक रूप से होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने पर विचार कर रहा है। उन्हेांने कहा कि अगर इज़राइल के साथ संघर्ष और तेज हुआ, तो यह कदम उठाना जरूरी हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि को रोकना बहुत मुश्किल होगा।
Strait of Hormuz इसकी महत्ता ऐतिहासिक है। इससे पहले 1980 से 1988 तक चले ईरान-इराक युद्ध के दौरान भी यह जलडमरूमध्य को बंद नहीं किया गया था। उस वक्त तो युद्ध में शामिल दोनों देशों ने एक-दूसरे के तेल टैंकरों को निशाना बनाया था। टैंकर युद्ध के नाम जाना जाने वाला इरान इराक युद्ध इतिहास में प्रसिद्धि पा चुका है।
इसके बाद 2019 में डोनाल्ड ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में इस मार्ग पर चार तेल टैंकरों पर हमला हुआ था, जिसे अमेरिका ने ईरान की साजिश करार दिया था। हालांकि, ईरान अमेरिका के इस आरोप को हमेशा नकार दिया था। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि यह जलमार्ग हमेशा से राजनीतिक और सैन्य खींचतान का केंद्र रहा है।
Strait of Hormuz के बंद होने पर भारत पर मार पड़ सकती है। ऊर्जा संकट के साथ-साथ महंगाई और व्यापार घाटा भी बढ़ने की आशंका है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत तक आयात करता है, और इसका बड़ा हिस्सा जलडमरूमध्य मार्ग से आता है। अगर इस सप्लाई चेन में रुकावट होती है तो घरेलू तेल कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है। तेल की बढ़ी कीमतों की वजह से ट्रांसपोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र तो प्रभावित होंगे ही आम आदमी भी इसकी मार से नहीं बच सकेगा।
वैश्विक स्तर पर भी तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे आर्थिक मंदी की स्थिति बन सकती है। अमेरिका और यूरोप पहले ही महंगाई और ऊर्जा संकट की चुनौतियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में होर्मुज का बंद होना वैश्विक आर्थिक अस्थिरता को और गहरा कर सकता है।
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