Nepal Gen-Z Protest: नेपाल में राजनीतिक संकट, प्रधानमंत्री केपी ओली का इस्तीफा और Gen-Z आंदोलन

खबर सार :-
नेपाल में राजनीतिक संकट गहराने के साथ ही प्रधानमंत्री केपी ओली का इस्तीफा, और काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का संकेत है कि नेपाल में एक नई राजनीतिक दिशा की आवश्यकता है। जेन-जी का समर्थन बालेंद्र शाह को मिल रहा है, और देश की युवा पीढ़ी को उनके नेतृत्व में एक नई उम्मीद नजर आ रही है।

Nepal Gen-Z Protest: नेपाल में राजनीतिक संकट, प्रधानमंत्री केपी ओली का इस्तीफा और Gen-Z आंदोलन
खबर विस्तार : -

Nepal Gen-Z Protest: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री केपी ओली ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के बीच अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह संकट तब और बढ़ा जब गृहमंत्री रमेश लेखक और कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नेपाल में ताजा राजनीतिक उथल-पुथल के बीच सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं, और इसमें मुख्य भूमिका निभाने वाले काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह की ओर Generation Z का ध्यान केंद्रित हो गया है।

नेपाल में बढ़ता राजनीतिक तनाव

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली का इस्तीफा देश के लिए एक बड़ा राजनीतिक मोड़ साबित हुआ है। उनका इस्तीफा उस समय आया जब नेपाल के नागरिकों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज कर दिए थे। ये प्रदर्शन भ्रष्टाचार और सरकार की ओर से लागू किए गए सोशल मीडिया प्रतिबंधों के विरोध में हो रहे थे। इन प्रदर्शनों में कई जगहों पर हिंसा हुई, जिसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कई मंत्री इस्तीफा देने को मजबूर हुए।

हिंसक प्रदर्शनों की चपेट में आया पूरा देश

नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत अन्य प्रमुख शहरों में प्रदर्शनों का दायरा बढ़ने के साथ ही स्थिति विकट हो गई। कई स्थानों पर तोड़फोड़, आगजनी और पथराव की घटनाएं सामने आईं। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास को भी निशाना बनाया, जहां तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं। इसके साथ ही सरकार और पुलिस के खिलाफ जनता का आक्रोश भी तेज हो गया है।

काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह की भूमिका

काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह, जिनका नाम अब नेपाल की राजनीति में तेजी से सामने आ रहा है, को लेकर जनता के बीच बहुत उत्साह है। 2022 में काठमांडू के मेयर के तौर पर चुनाव जीतने के बाद बालेंद्र शाह ने राजनीति में एक नई दिशा दी। वह एक युवा नेता हैं, जिन्होंने काठमांडू में नागरिकों के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए, जैसे कि सड़कों की सफाई और टैक्स चोरी के खिलाफ कार्रवाई। उनकी इस कार्यशैली ने उन्हें खासकर युवाओं में एक आदर्श बना दिया है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ बालेंद्र की जीरो टॉलरेंस की नीति

बालेंद्र शाह की ओर से भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है, जिसके कारण उनकी छवि सशक्त हुई है। उनका मानना है कि यह आंदोलन Gen-Z का है और वह इसका समर्थन करते हैं। हाल ही में उन्होंने फेसबुक पर एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने आंदोलनकारियों का समर्थन करते हुए कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से आंदोलन में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि यह आंदोलन डिजिटल स्वतंत्रता और भ्रष्टाचार के मुद्दे को उजागर करेगा।

सोशल मीडिया पर बढ़ती मांग

बालेंद्र शाह के समर्थक सोशल मीडिया पर उनका समर्थन बढ़ा रहे हैं। कई यूज़र्स ने उनसे अपील की है कि वह काठमांडू के मेयर पद से इस्तीफा दें और एक नई राजनीतिक पार्टी बनाकर राष्ट्रीय नेतृत्व संभालें। उनका कहना है कि अब या कभी नहीं, क्योंकि देश को एक नायक की आवश्यकता है। बालेंद्र शाह के पक्ष में यह दावा किया जा रहा है कि उनकी छवि और कार्यशैली से नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को गति मिल सकती है।

बालेंद्र शाह की सख्त नीतियां और विवाद

बालेंद्र शाह ने कई बार नेपाल सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने भारत के खिलाफ जहर उगलते हुए नेपाल की अखंडता की वकालत की थी। एक बार उन्होंने नेपाल की अदालत को भारत का गुलाम कह दिया था, जबकि दूसरी बार उन्होंने ओम राउत की फिल्म 'आदिपुरुष' को काठमांडू में नहीं दिखाने का आदेश दिया था, क्योंकि फिल्म में सीता को भारत की बेटी बताया गया था, जबकि उनका जन्म स्थान नेपाल है। बालेंद्र शाह का यह कदम नेपाल के युवाओं को एक नई दिशा दिखाने की कोशिश है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि वह केवल राजनीतिक विवादों में नहीं उलझना चाहते, बल्कि देश की आंतरिक राजनीति को भी सही दिशा में लाना चाहते हैं।

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