पोप लियो XIV: अमेरिका के कार्डिनल रॉबर्ट प्रिवोस्ट बने इतिहास के पहले अमेरिकी पोप

खबर सार : -
रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट पोप लियो XIV बन गए हैं, उन्होंने पहले अमेरिकी पोप के रूप में इतिहास रच दिया है। 69 वर्षीय प्रीवोस्ट को 2025 के वेटिकन कॉन्क्लेव में 133 कार्डिनल्स द्वारा चुना गया था।

खबर विस्तार : -

पोप लियो XIV: सेंट पीटर्स स्क्वायर की चिमनी से उठता सफेद धुआं दुनिया भर के कैथोलिकों के लिए एक ऐतिहासिक संकेत लेकर आया। अमेरिका के 69 वर्षीय कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रिवोस्ट को आधिकारिक रूप से कैथोलिक चर्च का नया पोप चुना गया है। उन्होंने पोप लियो 14वें के रूप में पद ग्रहण किया है, जो उत्तरी अमेरिका से पोप चुने जाने की पहली घटना है।

सिस्टीन चैपल में बुधवार को 133 कार्डिनलों का कॉन्क्लेव शुरू हुआ था। गुरुवार को जैसे ही बहुमत स्पष्ट हुआ, परंपरा के अनुसार चिमनी से सफेद धुआं निकला और फिर बालकनी से जनता को उनका नया धर्मगुरु दिखा—एक ऐसा क्षण जिसे दुनिया भर के करोड़ों लोगों ने टीवी और इंटरनेट पर लाइव देखा। अपने पहले सार्वजनिक संदेश में पोप लियो 14वें ने संवाद और एकता की अपील की। उन्होंने कहा कि "यह समय पुल बनाने का है, दीवारें खड़ी करने का नहीं।" उन्होंने अपने पूर्ववर्ती पोप फ्रांसिस को सम्मानपूर्वक श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका करुणामय नेतृत्व उनके लिए प्रेरणा रहेगा। नए पोप ने अपने भाषण की शुरुआत इतालवी में की, फिर स्पैनिश में लोगों को संबोधित किया एक स्पष्ट इशारा उनकी बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक पृष्ठभूमि की ओर। उन्होंने पेरु के चिकलायो में बिताए वर्षों को याद किया, जहां वे आर्कबिशप रहे और मिशनरी के तौर पर लंबे समय तक कार्यरत रहे।

हमारे देश के लिए यह एक बड़ा सम्मान: ट्रंप

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें शुभकामनाएं मिलनी शुरू हो गई हैं। जर्मन चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने कहा, "दुनिया इस कठिन समय में आपसे उम्मीद करती है। आप न्याय, शांति और मेल-मिलाप के प्रतीक बनें।" वहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देते हुए कहा, "हमारे देश के लिए यह एक बड़ा सम्मान है कि एक अमेरिकी पोप बने।" पोप लियो 14वें का जन्म 14 सितंबर 1955 को शिकागो में हुआ। 1977 में उन्होंने ऑर्डर ऑफ सेंट ऑगस्टीन जॉइन किया और शिकागो की कैथोलिक थियोलॉजी यूनियन से धर्मशास्त्र में उच्च शिक्षा ली। 1982 में वे रोम चले गए, जहाँ से उन्हें पेरु में मिशनरी सेवा के लिए भेजा गया। अमेरिका और पेरु दोनों देशों में उन्होंने धर्म और सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह चुनाव न केवल एक नए युग की शुरुआत है, बल्कि यह वैश्विक कैथोलिक समुदाय के लिए समावेश, संवाद और एकजुटता की दिशा में नई सोच का संकेत भी है।
 

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